पत्थलगांव:गेंदे की खेती से आत्मनिर्भर बने किसान,सालाना लाखों की कमाई

पत्थलगांव:मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा किसानों को पारंपरिक फसलों के साथ फल-फूल की खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके तहत गेंदे की खेती एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभर रही है, जो कम समय में अधिक मुनाफा देती है। पत्थलगांव विकासखंड के ग्राम लोकेर के प्रगतिशील किसान श्री मोती बंजारा ने गेंदे की खेती कर न केवल अपनी आमदनी बढ़ाई है, बल्कि अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं।
गेंदे की खेती से लाखों की कमाई
श्री मोती बंजारा ने 2014 में 20 डिसमिल जमीन पर गेंदे की खेती शुरू की, और त्योहारों के दौरान फूलों की अच्छी कीमत मिलने से उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। बाद में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र डूमरबाहर, जशपुर के मार्गदर्शन में ड्रिप मल्चिंग तकनीक अपनाई और रकबा बढ़ाकर एक एकड़ कर लिया।
इसके बाद, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर नेट हाउस तकनीक अपनाई। उद्यान विभाग, पत्थलगांव से संपर्क कर आवेदन जमा किया, जिसके तहत 0.2000 हेक्टेयर में नेट हाउस और 1 एकड़ में ड्रिप मल्चिंग के माध्यम से गेंदे और ग्लेडियोलस फूलों की खेती करने लगे।
पिछले दीपावली सीजन में सिर्फ 15 दिनों में उन्होंने 3 लाख रुपये की कमाई की। सही मार्केट मिलने पर एक एकड़ से 3 से 3.5 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है। पिछले खरीफ सीजन में उन्होंने 2.5 एकड़ में खेती कर बेहतरीन मुनाफा कमाया।
फूलों की बढ़ती मांग और व्यापार
मोती बंजारा जशपुर जिले के साथ-साथ सरगुजा, बिलासपुर, रायपुर, ओडिशा और झारखंड में भी फूलों की सप्लाई कर रहे हैं। अन्य जिलों और राज्यों से भी गेंदे की मांग बनी रहती है। उनके सफल मॉडल को देखकर अन्य किसान भी गेंदे की खेती शुरू कर रहे हैं और अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।
सरकारी योजनाओं से मिला सहयोग
श्री मोती बंजारा को छत्तीसगढ़ शासन की कई योजनाओं का लाभ मिला है:
- क्रेडा विभाग की सौर सुजला योजना से सिंचाई की सुविधा मिली।
- कृषि विभाग से गोदाम निर्माण की सहायता।
- उद्यान विभाग से पैक हाउस और नेट हाउस की सुविधा।
इसके अलावा, वे गेंदे के फूलों से बुके और गुलदस्ते बनाकर सालाना 2 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं।
गेंदे की खेती: कम लागत, अधिक लाभ
- फूलों की फसल कम समय में तैयार होती है। गेंदा 60-70 दिनों में फूल देना शुरू कर देता है।
- कम लागत में अधिक मुनाफा मिलता है, क्योंकि गेंदे की बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है।
- शादी-विवाह, धार्मिक आयोजन, मंदिरों और सजावट में इसका उपयोग किया जाता है।
- गेंदे का औषधीय महत्व भी है, जिससे इसकी उपयोगिता और अधिक बढ़ जाती है।
परिवार की आर्थिक स्थिति में आया सुधार
किसान मोती बंजारा ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी आय में वृद्धि होने से उनका परिवार सुखी और आत्मनिर्भर बन गया है। उनके जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव आया है।
गेंदे की खेती ने किसानों के लिए एक नई राह खोल दी है, जिससे वे कम समय में अधिक लाभ कमा सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।