संयुक्त राष्ट्र में सीजफायर प्रस्ताव पर भारत रहा अनुपस्थित, गाजा में मानवीय हालात पर जताई चिंता

गाजा में जारी इजराइली बमबारी के बीच संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की जनरल असेंबली में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाया गया, जिसमें गाजा में तत्काल, स्थाई और बिना शर्त युद्धविराम (सीजफायर) की मांग की गई। इस प्रस्ताव में बंधकों की जल्द रिहाई की अपील भी शामिल थी। लेकिन इस प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और अनुपस्थित रहा।

यह प्रस्ताव यूरोपीय देश स्पेन द्वारा पेश किया गया था। संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 149 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 12 देशों ने विरोध में वोट डाला। भारत सहित 19 देश ऐसे रहे जिन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। इन देशों में अल्बानिया, कैमरून, इक्वाडोर, इथियोपिया, मालावी, पनामा, साउथ सूडान और टोगो शामिल हैं।

भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने बताया कि भारत ने गाजा में बिगड़ती मानवीय स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भारत पहले भी इजराइल-फिलिस्तीन से जुड़े ऐसे कई प्रस्तावों पर अनुपस्थित रहा है, क्योंकि भारत मानता है कि इस जटिल मुद्दे का हल बातचीत और कूटनीति के जरिए ही संभव है।

भारत ने साफ किया है कि वह शांति और मानवता के पक्षधर के रूप में हमेशा गाजा के लोगों को द्विपक्षीय या संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से मानवीय सहायता देता आया है और यह जारी रहेगा। साथ ही, भारत ने सभी बचे हुए बंधकों की सुरक्षित रिहाई की अपील भी की है।

यह प्रस्ताव ऐसे समय पर आया है जब इससे पहलेयूएन सुरक्षा परिषद में इसी तरह के एक प्रस्ताव को अमेरिका ने वीटो कर दिया था, जिससे वह पास नहीं हो सका था। ऐसे में जनरल असेंबली में यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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