Chhattisgarhi language and new education policy: छत्तीसगढ़ी भाषा और नई शिक्षा नीति

Chhattisgarhi language and new education policy: NEP 2020 में उसकी भूमिका

भारत की ई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) ने भाषा,(Chhattisgarhi language and new education policy) संस्कृति और मातृभाषा को शिक्षा का केंद्रीय तत्व मानकर एक नई सोच को जन्म दिया है। यह नीति कहती है कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में होनी चाहिए, ताकि उनका संज्ञानात्मक विकास बेहतर हो सके और वे अपनी संस्कृति से जुड़ाव महसूस करें।

इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ी जैसी समृद्ध लोकभाषा की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। छत्तीसगढ़ी भाषा में ना केवल शिक्षण की गहराई है, बल्कि इसमें बालमन को प्रभावित करने की अद्भुत क्षमता भी है।


1. नई शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख भाषाई विशेषताएं

नई शिक्षा नीति में जिन प्रमुख बिंदुओं पर बल दिया गया है, वे इस प्रकार हैं:

  • प्रारंभिक कक्षाओं (कक्षा 1 से 5) तक शिक्षा मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा में दी जाएगी।

  • त्रिभाषा सूत्र (Three Language Formula) को पुनः बल, जिसमें स्थानीय भाषा, हिंदी/अंग्रेज़ी और एक अन्य भारतीय भाषा को सम्मिलित किया गया है।

  • भाषा आधारित रचनात्मक शिक्षण, जिसमें लोकगीत, कहानियाँ, खेल, और कला सम्मिलित होंगी।

  • भारतीय भाषाओं के डिजिटलीकरण और प्रलेखन को बढ़ावा।


2. छत्तीसगढ़ी भाषा की शिक्षा में प्रासंगिकता

(i) मातृभाषा में शिक्षा का मनोवैज्ञानिक लाभ

Chhattisgarhi language and new education policy: छत्तीसगढ़ी बहुत से विद्यार्थियों की मातृभाषा है। जब बच्चे अपनी भाषा में पढ़ते हैं, तो वे ज्यादा जल्दी और बेहतर समझ पाते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

वैज्ञानिक शोध कहते हैं कि मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा लेने वाले बच्चों का संज्ञानात्मक विकास तेज होता है।

(ii) संस्कृति से जुड़ाव

जब बच्चे अपनी भाषा में पढ़ते हैं, तो वे लोकगीतों, कहावतों, किस्सों के माध्यम से सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ते हैं। इससे उनकी पहचान और आत्मगौरव भी मजबूत होता है।


3. छत्तीसगढ़ी को स्कूली शिक्षा में शामिल करने की स्थिति

छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2022 से कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई में छत्तीसगढ़ी भाषा को सहायक भाषा के रूप में लागू करना शुरू किया है। इसे “बोली संग सीख” (Learn with Local Language) के नाम से भी प्रचारित किया गया।

(उदाहरण)

  • राजनांदगांव, कवर्धा, बिलासपुर जैसे जिलों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया है।

  • NCERT और SCERT की सहायता से छत्तीसगढ़ी भाषा में प्राथमिक कक्षा की किताबें तैयार की गई हैं।


4. छत्तीसगढ़ी में उपलब्ध शैक्षणिक संसाधनों की आवश्यकता

यदि NEP को धरातल पर उतारना है तो छत्तीसगढ़ी भाषा में निम्नलिखित चीजों की आवश्यकता है:

आवश्यक संसाधन विवरण
📘 पाठ्यपुस्तकें छत्तीसगढ़ी में विषयों की आधारभूत किताबें
🎧 श्रव्य सामग्री छत्तीसगढ़ी ऑडियो कहानियाँ, गीत, नाट्य आदि
🎥 वीडियो सामग्री छत्तीसगढ़ी में शैक्षणिक विडियो और एनिमेशन
👩‍🏫 प्रशिक्षित शिक्षक छत्तीसगढ़ी पढ़ाने के लिए अध्यापक प्रशिक्षण
🖥 डिजिटल कंटेंट छत्तीसगढ़ी ई-लर्निंग पोर्टल और ऐप

5. शिक्षण में छत्तीसगढ़ी का व्यवहारिक लाभ, Chhattisgarhi language and new education policy

(i) स्थानीय सन्दर्भ और उदाहरणों का समावेश

यदि विज्ञान या गणित जैसे विषयों को छत्तीसगढ़ी संदर्भ में समझाया जाए – जैसे धान की गिनती, नदी का बहाव, हल जोतने का कोण – तो बच्चों की समझ बेहतर होती है।

(ii) शिक्षकों और अभिभावकों की भागीदारी

छत्तीसगढ़ी माध्यम से शिक्षा होने पर ग्रामीण शिक्षकों और माता-पिता को भी बच्चों की पढ़ाई में भाग लेने का अवसर मिलता है।

जब भाषा बाधा नहीं बनती, तब शिक्षा हर घर की चीज़ बन जाती है।


6. संभावनाएँ और चुनौतियाँ

संभावनाएँ:

  • बच्चों की सृजनात्मकता में वृद्धि

  • ड्रॉपआउट रेट में कमी

  • शिक्षा में सांस्कृतिक तत्वों का समावेश

  • लोकल टीचिंग टूल्स का विकास

चुनौतियाँ:

  • छत्तीसगढ़ी का अभी तक मानकीकरण नहीं हो पाया है

  • ट्रेंड टीचर्स की कमी

  • अभिभावकों का अंग्रेजी माध्यम के प्रति झुकाव

  • सरकारी नियोजन और संसाधन की कमी


7. आगे का मार्ग – क्या किया जाना चाहिए?

सुझाव विवरण
📖 छत्तीसगढ़ी शब्दकोष मानकीकृत और आधुनिक शब्दों से युक्त शब्दकोश बनें
🎓 शिक्षकों का प्रशिक्षण विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल हो
🎬 बाल कार्यक्रम छत्तीसगढ़ी में बच्चों के लिए टीवी और यूट्यूब कंटेंट
📚 रोचक किताबें बाल साहित्य, विज्ञान कथा, चित्रकथाएँ छत्तीसगढ़ी में
🏫 शिक्षा नीति में समावेश प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक में छत्तीसगढ़ी को स्थान

Chhattisgarhi language and new education policy: छत्तीसगढ़ी भाषा को शिक्षा में शामिल करना केवल एक भाषाई निर्णय नहीं है, यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है। नई शिक्षा नीति 2020 इस दिशा में एक ऐतिहासिक अवसर है, जो छत्तीसगढ़ को अपनी भाषा, पहचान और शिक्षा प्रणाली को एक नए स्तर पर ले जाने में सक्षम बना सकती है।

“जब शिक्षा अपनी बोली में होगी, तभी ज्ञान आत्मसात होगा।”

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