Chhattisgarhi Grammar: छत्तीसगढ़ी व्याकरण की मूल रचना
Chhattisgarhi Grammar:– संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया

छत्तीसगढ़ी भाषा जितनी मीठी और सहज है, उतना ही उसका व्याकरण भी सुसंगठित और लोक-आधारित है। (Chhattisgarhi Grammar) किसी भी भाषा की मजबूती उसके व्याकरण पर निर्भर करती है, और छत्तीसगढ़ी का व्याकरण स्थानीय बोलचाल, संस्कृति और सामाजिक व्यवहार से गहराई से जुड़ा हुआ है। इस अध्याय में हम छत्तीसगढ़ी भाषा के तीन प्रमुख व्याकरणिक स्तंभों — संज्ञा (Noun), सर्वनाम (Pronoun), और क्रिया (Verb) — को विस्तारपूर्वक समझेंगे।
1. संज्ञा (Noun) Chhattisgarhi Grammar
संज्ञा वे शब्द होते हैं जो किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, प्राणी या भाव का नाम बताते हैं। छत्तीसगढ़ी में संज्ञा हिंदी से मिलती-जुलती है, परंतु उच्चारण और प्रयोग में अंतर देखा जाता है।
संज्ञा के प्रकार:
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
व्यक्तियों के विशेष नाम जैसे – राम, सीता, रमन, संतोष।
उदाहरण:
राम स्कूल गे रहिस।
(राम स्कूल गया था।)
जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
किसी वर्ग या जाति का सामान्य नाम – मनखे (इंसान), गाड़ी, किताब, लइका (बच्चा)।
उदाहरण:Chhattisgarhi Grammar
मनखे ला मदद करै बर चाही।
(इंसान को मदद करनी चाहिए।)
भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)
भावों, गुणों या अवस्थाओं के नाम – मया (प्यार), दया, हिम्मत।
उदाहरण:
मया ले मन हरियर हो जथे।
(प्यार से मन प्रसन्न हो जाता है।)
2. सर्वनाम (Pronoun)
Chhattisgarhi Grammar: सर्वनाम वे शब्द होते हैं जो संज्ञा के स्थान पर उपयोग किए जाते हैं। इससे वाक्य में दोहराव नहीं होता और भाषा सहज बनती है।
छत्तीसगढ़ी में सामान्य सर्वनाम:
| छत्तीसगढ़ी | हिन्दी अर्थ | प्रयोग उदाहरण |
|---|---|---|
| में | मैं | में बाजार गे रहेंव। |
| तें | तू | तें का करत हस? |
| तोर | तेरा | तोरे किताब नइ मिलिस। |
| ओकर | उसका | ओकर घलो काम हे। |
| हम | हम | हमन संग चलव। |
| उ | वह | उ खाय लागिस। |
| ओमन | वे (बहुवचन) | ओमन खेलत हें। |
विशेष ध्यान दें:
छत्तीसगढ़ी में सम्मान और आत्मीयता दर्शाने के लिए ‘हव’, ‘हस’, ‘है’, ‘रहिस’, ‘रथेस’ आदि क्रियाएं सर्वनाम के साथ बदलती हैं।
3. क्रिया (Verb)
क्रिया वे शब्द होते हैं जो किसी कार्य, अवस्था या भाव को दर्शाते हैं। छत्तीसगढ़ी में क्रियाओं का रूप सर्वनाम, काल (Tense), और संख्या (Singular/Plural) के अनुसार बदलता है।
क्रिया के रूप – काल के अनुसार:
वर्तमान काल (Present Tense)
| क्रिया | अर्थ | उदाहरण |
|---|---|---|
| खावत | खा रहा है | में भात खावत हंव। |
| जात | जा रहा है | ते जात हस? |
| करत | कर रहा है | हमन काम करत हन। |
भूतकाल (Past Tense)
| क्रिया | अर्थ | उदाहरण |
|---|---|---|
| खाइस | खाया | ओ भात खाइस। |
| गेय | गया | में बाजार गेय रहेंव। |
| रहिस | था | ते स्कूल म रहिस। |
भविष्यत काल (Future Tense)
| क्रिया | अर्थ | उदाहरण |
|---|---|---|
| खाही | खाएगा | ओ भात खाही। |
| जाही | जाएगा | में घरे जाहीं। |
| करही | करेगा | तो करही काम। |
4. संज्ञा-सर्वनाम-क्रिया का एकत्र उपयोग (वाक्य रचना में)
यहाँ हम तीनों के एक साथ उपयोग को कुछ वाक्यों के जरिए समझते हैं:
| छत्तीसगढ़ी वाक्य | हिन्दी अनुवाद |
|---|---|
| में खेत म काम करत हंव। | मैं खेत में काम कर रहा हूँ। |
| तें बजार गे रहिस का? | क्या तुम बाजार गए थे? |
| ओकर नाव गोविंद आय। | उसका नाम गोविंद है। |
| ओमन हंसी करत हें। | वे हँसी कर रहे हैं। |
| हमन नवा किताब लानें हन। | हम लोग नई किताब ला रहे हैं। |
5. छत्तीसगढ़ी क्रिया-रूपों की एक विशेषता
Chhattisgarhi Grammar: छत्तीसगढ़ी में क्रिया-रूप अत्यधिक लचीले होते हैं और वे बोलचाल की सहजता को ध्यान में रखकर बनते हैं। जैसे:
करथ हस – तुम कर रहे हो।
करथे – वह करता है।
करत हंव – मैं कर रहा हूँ।
करहू – आप करिए।
करही – करेगा।
यह बदलाव छत्तीसगढ़ी भाषा को अपनी भावनाओं के साथ जोड़ने में बेहद असरदार बनाता है।
6. छत्तीसगढ़ी व्याकरण की मौखिक परंपरा
यह भी समझना जरूरी है कि छत्तीसगढ़ी व्याकरण मूलतः मौखिक परंपरा से आया है। ग्रामीण इलाकों में व्याकरण की कोई किताब नहीं पढ़ी जाती, बल्कि बच्चे अपने बुजुर्गों से बोलचाल के माध्यम से ही व्याकरणिक ढांचा सीखते हैं। यही इसे जीवंत भाषा बनाता है।
छत्तीसगढ़ी भाषा का व्याकरण सरल, लचीला और व्यावहारिक है।
संज्ञा, सर्वनाम और क्रिया के माध्यम से न सिर्फ भाषा रचना स्पष्ट होती है, बल्कि यह भी सिद्ध होता है कि छत्तीसगढ़ी कोई टूटी-फूटी बोली नहीं, बल्कि एक संगठित भाषा है। इसकी अपनी बनावट, नियम और प्रयोग के तरीके हैं जो इसे विशेष और लोकजीवन से जुड़ा हुआ बनाते हैं।





