chhattisgarhi Muhavare: छत्तीसगढ़ी मुहावरे और उनके अर्थ
Chhattisgarhi Muhavare: छत्तीसगढ़ी सीखें

किसी भी भाषा को प्रभावशाली और अभिव्यक्तिपूर्ण बनाने में मुहावरों (chhattisgarhi Muhavare) का महत्वपूर्ण स्थान होता है। छत्तीसगढ़ी भाषा में भी ऐसे सैकड़ों मुहावरे हैं जो जनजीवन के अनुभव, तर्क, व्यंग्य, हास्य और गहराई को दर्शाते हैं। ये मुहावरे केवल शब्द नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी समाज के सोचने और कहने का तरीका हैं।
यह अध्याय छत्तीसगढ़ी के प्रमुख मुहावरों, उनके अर्थ, प्रयोग और सांस्कृतिक महत्व को विस्तृत रूप में प्रस्तुत करता है।
1. मुहावरे क्या होते हैं?, chhattisgarhi Muhavare
मुहावरे वे वाक्यांश होते हैं जिनका प्रयोग विशेष अर्थ देने के लिए किया जाता है। इनका वास्तविक अर्थ शब्दशः नहीं होता, बल्कि ये किसी अनुभव, भावना या स्थिति को प्रतीकात्मक रूप में दर्शाते हैं।
उदाहरण:
“आँखी मुंद के काम करना” — मतलब यह नहीं कि आंख बंद कर लो, बल्कि यह कि बिना सोचे-समझे कोई काम करना।
2. छत्तीसगढ़ी के प्रमुख लोकप्रचलित मुहावरे (तालिका सहित):
| छत्तीसगढ़ी मुहावरा | हिन्दी अर्थ | प्रयोग उदाहरण |
|---|---|---|
| भैंस के आगे बीन बजाना | मूर्ख को समझाना बेकार है | उल मन कहिथे, भैंस के आगू बीन बजाना हे। |
| आँखी मुंद के बइठे हे | किसी खतरे से अनजान रहना | ओ मन आँखी मुंद के बइठे हें, कुछू नइ दिखत हे। |
| नाँगिन के डंक जइसे बोले | बहुत तीखा और जहरीला बोलना | ते तो नाँगिन के डंक जइसे बोले। |
| कांटा बिच म फूल जइसे | कठिनाई में भी सुंदरता या अच्छाई का होना | ओ लइका कांटा बिच म फूल जइसे आय। |
| भात म बाल निकले जइसे बात करे | छोटी बात को बड़ा बनाना | ते तो भात म बाल निकले जइसे बात करत हस। |
| मन म गुदगुदी होगे | मन प्रसन्न हो जाना | ते बात सुनके मन म गुदगुदी होगे। |
| धुर्रा झाड़ना | झूठ बोलना या धोखा देना | ते तो सिरिप धुर्रा झाड़त हस। |
| मुँह फुला के बइठना | नाराज होकर चुप बैठ जाना | काबर मुँह फुला के बइठे हस रे? |
| करेला ऊपर नीम चढ़ना | पहले से बुरी स्थिति और खराब होना | ते तो करेले ऊपर नीम चढ़ गे जइसे बात करत हे। |
| कान म तेल डार के सुते हे | अनसुना करना, ध्यान न देना | ते का कान म तेल डार के सुते हस? |
3. मुहावरों का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
समाज की बुद्धिमत्ता का परिचायक:
chhattisgarhi Muhavare: छत्तीसगढ़ी मुहावरे सीधे-सीधे जीवन के अनुभवों से उपजे हैं। इनका संबंध खेत-खलिहान, जंगल, नदी, जानवरों, रिश्तों और रोजमर्रा की घटनाओं से होता है।
लोकजीवन से गहरा संबंध:
अधिकतर मुहावरे ग्रामीण जीवन, किसान, पशुपालन और घरेलू परिस्थितियों से संबंधित हैं।
उदाहरण: “बइला के सींग सम्हाले नइ बने”
अर्थ: जब परिस्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए।
संक्षिप्त में गहरी बात:
मुहावरे कम शब्दों में बड़ी बात कहने का हुनर हैं। ये भाषा को प्रभावशाली और रोचक बनाते हैं।
4. मुहावरों का व्यावहारिक उपयोग – संवाद में
नीचे कुछ संवाद दिए जा रहे हैं जिनमें छत्तीसगढ़ी मुहावरे प्रयुक्त हुए हैं:
संवाद 1
रामू: का बात हे भाई, तोर मुँह फुलाय हे?
श्यामू: मोर बात ला कोई सुनथेच नइ, सब कान म तेल डार के सुते हें।
(यहाँ “मुँह फुलाय हे” – नाराज होना, “कान म तेल डार के सुते” – ध्यान न देना।)
संवाद 2
बिहारी: ओ संगी, तोला देख के मन म गुदगुदी होगे।
छोटेलाल: अरे वाह! भात म बाल जइसे बात करत हस।
(यहाँ “गुदगुदी होगे” – खुशी होना, “भात म बाल” – बेवजह बात बढ़ाना।)
5. मुहावरों में व्यंग्य और हास्य का रंग
छत्तीसगढ़ी मुहावरे तंज कसने और हास्य पैदा करने में भी माहिर होते हैं। (chhattisgarhi Muhavare) कई बार लोगों को शरारतपूर्ण ढंग से चिढ़ाने के लिए भी इनका इस्तेमाल होता है।
जैसे:
“ते तो मया के पुतला बने फिरथस, कामचू नइ देखाथस!”
(तुम तो प्यार के पुतले बने फिरते हो, कामचोर हो!)
6. मुहावरों का भाषा-शिक्षा में योगदान
यदि बच्चों को छत्तीसगढ़ी सिखाई जा रही हो, तो मुहावरों के माध्यम से:
शब्दावली बढ़ती है
सोचने का तरीका विकसित होता है
लोकसंस्कृति से जुड़ाव होता है
वाक्य-रचना की समझ बढ़ती है
7. मुहावरों का भविष्य – क्या खो रहे हैं हम?
आज के डिजिटल और अंग्रेजीप्रधान दौर में छत्तीसगढ़ी मुहावरे धीरे-धीरे बोलचाल से गायब हो रहे हैं। नई पीढ़ी को इनका अर्थ और प्रयोग समझ में नहीं आता।
इसलिए जरूरी है कि:
स्कूल स्तर पर छत्तीसगढ़ी मुहावरों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
सोशल मीडिया में इनका प्रयोग किया जाए।
लोकगायकों और कलाकारों को इनके प्रचार में जोड़ा जाए।
छत्तीसगढ़ी मुहावरे (chhattisgarhi Muhavare) न केवल भाषा को चुटीला और आकर्षक बनाते हैं, बल्कि हमारे पूर्वजों की जीवन-दृष्टि को भी दर्शाते हैं। ये छोटे-छोटे वाक्यांश हमारे लोकजीवन की आत्मा हैं – उनमें बुद्धि, व्यंग्य, हास्य और अनुभव सबकुछ छिपा होता है।
छत्तीसगढ़ी भाषा जब तक जीवित है, मुहावरों की चमक कभी फीकी नहीं पड़ेगी।





