Chhattisgarhi Language Writers: छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रमुख लेखक
Chhattisgarhi Language Writers और उनकी साहित्यिक विरासत

छत्तीसगढ़ी भाषा की मिठास केवल उसके उच्चारण या लोकगीतों में नहीं है, (Chhattisgarhi Language Writers) बल्कि उसकी साहित्यिक विरासत में भी समाई हुई है। इस भाषा के अनेक लेखक और रचनाकारों ने लोकसंस्कृति, संघर्ष, प्रेम, व्यंग्य और दर्शन को अपनी लेखनी के माध्यम से जीवंत रूप दिया है।
इस अध्याय में हम उन महत्वपूर्ण छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों और उनकी अमूल्य कृतियों को जानेंगे, जिन्होंने भाषा को न केवल समृद्ध किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए साहित्यिक धरोहर भी छोड़ी।
1. छत्तीसगढ़ी साहित्य की पृष्ठभूमि, Chhattisgarhi Language Writers
छत्तीसगढ़ी साहित्य की जड़ें लोक परंपराओं, जनकथाओं, भजन-कीर्तन, नाचा-गम्मत और देवार गीतों में गहराई तक फैली हुई हैं। यह साहित्य मूलतः मौखिक रहा है लेकिन 20वीं शताब्दी में छत्तीसगढ़ी में लिखित साहित्य का तेजी से विकास हुआ।
2. छत्तीसगढ़ी साहित्य को दिशा देने वाले प्रमुख साहित्यकार
डॉ. सुरेन्द्र दुबे
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शैली: व्यंग्य और हास्य
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प्रमुख कृतियाँ:
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“अब झन कहिबे गांधी मरगे”
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“कुचबुचा बेरा”
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योगदान: छत्तीसगढ़ी व्यंग्य साहित्य को राष्ट्रीय मंच पर पहुँचाया। मंचीय कवि के रूप में देशभर में छत्तीसगढ़ी पहचान बनाईं।
हरिहर वैष्णव
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शैली: लोक संस्कृति, ऐतिहासिक संदर्भ
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प्रमुख कृतियाँ:
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“छत्तीसगढ़ी लोककथा कोश”
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“नाचा परंपरा और विकास”
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योगदान: छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य का गहन शोध किया। नाचा गम्मत, देवार परंपरा पर शास्त्रीय विवेचन प्रस्तुत किया।
लक्ष्मण मस्तुरिहा
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शैली: कविता, गद्य, इतिहास
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प्रमुख कृतियाँ:
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“छत्तीसगढ़ के वीर”
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“चंदैनी गोंदा” की लेखकीय प्रेरणा
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योगदान: छत्तीसगढ़ी में ऐतिहासिक और वीरगाथा आधारित साहित्य को बढ़ावा दिया।
कुमार विकल
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शैली: आधुनिक छत्तीसगढ़ी कविता
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प्रमुख रचनाएँ:
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“पियास”
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“धुर्रा-धुर्रा छत्तीसगढ़”
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योगदान: आधुनिक छत्तीसगढ़ी कविता को नई भावनात्मक और वैचारिक ऊँचाई दी।
डॉ. विनय कुमार पाठक, Chhattisgarhi Language Writers
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शैली: भाषाशास्त्र, व्याकरण
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प्रमुख कार्य:
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“छत्तीसगढ़ी व्याकरण”
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“भाषा विकास और छत्तीसगढ़ी”
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योगदान: छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण के लिए व्याकरण की मजबूत नींव रखी।
3. लोक साहित्य और गायक परंपरा के सर्जक
खुमान साव
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विशेषता: लोकगायक, संगीतकार
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योगदान: छत्तीसगढ़ी भजन, करमा गीत और पंथी को स्वरबद्ध किया।
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उपलब्धियाँ: पद्म श्री से सम्मानित।
नरेंद्र देवांगन, Chhattisgarhi Language Writers
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विशेषता: देवार परंपरा के संरक्षक
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योगदान: देवार गीतों और कथाओं को संरक्षित कर अगली पीढ़ी तक पहुँचाया।
4. लोककथा लेखन और बाल साहित्य में योगदान
जया चक्रवर्ती
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शैली: बाल साहित्य, लोककथा
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प्रमुख कृतियाँ:
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“बिंदा के बहिनी”
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“छत्तीसगढ़ी बाल कथा संग्रह”
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योगदान: छत्तीसगढ़ी में बाल साहित्य को नई दिशा दी।
5. नाटक और रंगमंच के क्षेत्र में साहित्यिक सृजन
हबीब तनवीर, Chhattisgarhi Language Writers
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हालाँकि वे हिंदी और उर्दू में लिखते थे, परंतु उनका अधिकांश कार्य छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों के साथ छत्तीसगढ़ी संवादों में ही था।
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नाटक:
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“चरनदास चोर”
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“आगरा बाज़ार”
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योगदान: छत्तीसगढ़ी भाषा को अंतरराष्ट्रीय रंगमंच पर पहचान दिलाई।
6. नई पीढ़ी के लेखक और डिजिटल साहित्यकार
छत्तीसगढ़ी में अब नई पीढ़ी के लेखक ब्लॉग, ई-पुस्तक, यूट्यूब स्क्रिप्ट और सोशल मीडिया के माध्यम से साहित्य सृजन कर रहे हैं।
प्रमुख नाम:
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प्रवेश वर्मा: डिजिटल कविता संग्रह
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अनुज शर्मा: लोकसंगीत के साथ छत्तीसगढ़ी कहानियाँ
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राहुल देवांगन: यूट्यूब पर छत्तीसगढ़ी ऐतिहासिक वीडियो
7. प्रकाशन और मंचों की भूमिका
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छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग
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छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी
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“गोंडवाना दर्शन”, “नवा बिहान”, “माटी के गीत” जैसे पत्रिकाएँ
इन संस्थानों ने छत्तीसगढ़ी लेखकों को मंच, सम्मान और प्रोत्साहन दिया।
Chhattisgarhi Language Writers: छत्तीसगढ़ी साहित्य की दुनिया बहुआयामी, विविधतापूर्ण और समृद्ध है। लेखकों की यह पीढ़ी न केवल शब्दों की साधना कर रही है, बल्कि भाषा की पहचान को नई दिशा दे रही है।
“बोली के लेखक, धरती के सपूत होथे, जेन माटी के महक ला कागज म भर देथे।”
इन लेखकों का साहित्य आने वाले समय में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की आत्मा को जीवंत रखने में अहम भूमिका निभाता रहेगा।





