पानी का संकट : गांव देहात में धड़ल्ले से चल रहे ट्यूबवेल

बिलासपुर:
पानी का संकट: गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। इस मौसम में सबसे बड़ी चिंता पानी की होती है। शहर में तो वाटर लेवल नीचे चला ही गया है, अब गांवों में भी यही संकट गहराने लगा है। अगर वक्त रहते सख्ती से पानी बचाने के प्रयास नहीं किए गए तो वो दिन दूर नहीं जब लोगों को पानी पाने के लिए यहां-वहां भटकना पड़ेगा। प्रशासन की रोक के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में धान की फसल ली जा रही है, जिसमें जरूरत से ज्यादा पानी का उपयोग हो रहा है।

सरकारें चाहे कोई भी रही हो, समय-समय पर पानी बचाने के लिए लोगों से अपील जरूर की जाती रही है, मगर यह अपील सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है। आज भी उनकी अपील का असर ना तो शहर में दिखाई दे रहा है और ना ही ग्रामीण क्षेत्रों में। अपील की बजाय अब सख्ती की जरूरत आ पड़ी है, क्योंकि वह दिन दूर नहीं जब ध्यान नहीं दिया गया तो पानी के लिए हाय तौबा मचेगी। इसलिए समय रहते इस ओर ध्यान दिया जाए तो पानी को न सिर्फ बचाया जा सकता है बल्कि एक बड़े संकट को भी अभी से टाला जा सकता है।

दरअसल इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में धान की फसल ली जा रही है। शासन-प्रशासन लगातार किसानों को समझाने का प्रयास करता रहा है कि गर्मी के दिनों में अत्यधिक पानी खपत वाली फसल ना लें, इसलिये दलहन और तिलहन की ओर उनका रुझान बढ़ाया जा रहा है। मगर ग्रामीण क्षेत्रों में किसान अब भी मानने को तैयार नहीं हैं और रबी की फसल के रूप में धान की पैदावार ली जा रही है। इसके कारण दिन-रात किसानों के मोटर पंप चलते रहते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग हो रहा है। आने वाले संकट को ध्यान में रखते हुए शासन-प्रशासन को सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है।

न सिर्फ तखतपुर बल्कि हर तरफ यही हाल है। यह तस्वीर तखतपुर से लगे हुए गांव की है जहां रबी फसल के रूप में धान की खेती की जा रही है। यहां 24 घंटे मोटर पंप चलाकर खेतों में सिंचाई की जा रही है। कई जिलों के कलेक्टरों ने आदेश भी जारी किया है कि किसान गर्मियों में रबी फसल में धान की जगह दलहन और तिलहन की खेती करें ताकि धान के अलावा अन्य अनाजों को बढ़ावा मिले और पानी की भी बचत हो सके।

हालांकि बांधों में पर्याप्त पानी होने पर किसानों की मदद इस सीजन में हो सकती है, मगर इसके लिए नहरों का दुरुस्त होना जरूरी है। मगर हर जगह न तो नहर की व्यवस्था है और न ही बांध बने हुए हैं। अगर कहीं ये सुविधाएं हैं भी, तो नहरें जर्जर हालत में हैं, जिससे बांध का पानी खेतों तक आसानी से नहीं पहुंच पाता। तखतपुर क्षेत्र के आसपास गांवों से गुजरने वाली नहरों का भी यही हाल है। विभाग द्वारा न तो नहर की मरम्मत कराई जाती है और न ही नहरों की ओर ध्यान दिया जाता है।

इसका कारण यह है कि किसान नहर से पानी नहीं आने के कारण ट्यूबवेल का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं। संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण ना ही गांव में कोटवारों से मुनादी कराई जा रही है और ना ही आने वाले समय में पानी को लेकर होने वाली गंभीर समस्या से बचने के लिए कोई ठोस उपाय किए जा रहे हैं।

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