परिसीमन को लेकर तमिलनाडु में सियासी हलचल, डीएमके ने बुलंद की आवाज

तमिलनाडु में लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर सियासी माहौल गरमाता जा रहा है। सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) इस मुद्दे पर लगातार मुखर है और इसे संसद में उठाने की तैयारी कर रही है। डीएमके का कहना है कि यदि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन हुआ तो तमिलनाडु समेत कई दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटों की संख्या घट सकती है। इसलिए, वह चाहती है कि यह प्रक्रिया 1971 की जनगणना के आधार पर हो।

स्टालिन ने विपक्ष को एकजुट करने की बनाई रणनीति

डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने परिसीमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, पंजाब और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों और विभिन्न दलों के नेताओं को पत्र लिखकर समर्थन मांगा है। स्टालिन ने प्रस्ताव दिया है कि 22 मार्च को चेन्नई में संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) की बैठक बुलाई जाए, जहां इस मुद्दे पर सामूहिक रणनीति बनाई जाएगी।

तमिलनाडु को हो सकता है नुकसान

डीएमके सांसदों का कहना है कि तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को प्रभावी रूप से लागू किया है, लेकिन परिसीमन के नए प्रस्ताव के तहत इन्हीं राज्यों को “दंडित” किया जा रहा है। यदि नए सिरे से जनसंख्या के आधार पर सीटों का पुनर्वितरण हुआ तो दक्षिणी राज्यों की सीटें घट सकती हैं, जबकि उत्तर भारतीय राज्यों की सीटें बढ़ सकती हैं।

डीएमके ने यह भी कहा कि केवल दक्षिण भारत ही नहीं, बल्कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी इस प्रस्ताव से प्रभावित होंगे। इसलिए, इन राज्यों के राजनीतिक दलों को भी इस मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए।

संसद में उठेगा मुद्दा

रविवार को डीएमके सांसदों की चेन्नई में बैठक हुई, जिसमें परिसीमन के खिलाफ संसद में आवाज उठाने का संकल्प लिया गया। बैठक में यह भी फैसला किया गया कि हिंदी को “थोपने” जैसे अन्य मुद्दों को भी संसद में रखा जाएगा।

केंद्र सरकार की चुप्पी से बढ़ी चिंता

अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे राज्यों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। डीएमके का आरोप है कि परिसीमन की इस योजना से तमिलनाडु के साथ अन्याय होगा। पार्टी ने यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है कि तमिलनाडु की एक भी लोकसभा सीट न घटे।

सीएम स्टालिन ने अपने पत्र में दो संभावित तरीकों की ओर इशारा किया है—

1. सीटों का पुनर्वितरण: मौजूदा 543 लोकसभा सीटों को नए सिरे से राज्यों के बीच बांटा जाए।

2. कुल सीटें बढ़ाना: लोकसभा की कुल सीटों को बढ़ाकर 800 से अधिक किया जाए, जिससे किसी भी राज्य की सीटें कम न हों।

आने वाले दिनों में बढ़ेगी राजनीति

परिसीमन को लेकर तमिलनाडु में सियासत तेज हो गई है और यह मुद्दा संसद सत्र में भी गर्मा सकता है। डीएमके के इस आक्रामक रुख के बाद देखना होगा कि अन्य विपक्षी दल इस पर क्या रुख अपनाते हैं और केंद्र सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

 

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