युक्तियुक्तकरण में नहीं ली गई आपत्ति, कलेक्टर के पास रोती-बिलखती पहुंची शिक्षिका

बिलासपुर
छत्तीसगढ़ में स्कूलों के युक्तियुक्तकरण को लेकर शिक्षकों में नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में बिलासपुर से एक भावुक कर देने वाला मामला सामने आया, जहां एक महिला शिक्षिका और उनके पति को आपत्ति दर्ज न किए जाने के कारण भारी मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा।
पीड़ित शिक्षिका लक्ष्मी राठौर का आरोप है कि युक्तियुक्तकरण की सूची में उनका नाम बिना सूचना और बिना आपत्ति के दर्ज कर लिया गया। जब वे अपनी बात रखने के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय पहुँचीं, तो उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया, बल्कि मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने उन्हें “नाटक करने” और “रोने की नौटंकी” कहकर वहां से भगा दिया।
रोते-बिलखते शिक्षिका और पति पहुंचे कलेक्टर कार्यालय
शिक्षिका लक्ष्मी राठौर और उनके पति का कहना है कि वे अपनी नौकरी और पारिवारिक स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। युक्तियुक्तकरण के तहत उन्हें जिस स्थान पर स्थानांतरित किया गया है, वह न केवल दूरस्थ है बल्कि वहां पहुंचना भी कठिन है। उन्होंने बताया कि ना तो समय पर सूचना दी गई और ना ही दावा-आपत्ति का अवसर।
शिक्षकों का आरोप – प्रक्रिया अपारदर्शी और पक्षपातपूर्ण
इस मामले ने एक बार फिर राज्यभर के शिक्षकों में असंतोष को उजागर किया है। शिक्षकों का आरोप है कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई सूची में भारी विसंगतियाँ हैं। सरकार भले ही इसे शिक्षकविहीन स्कूलों की समस्या के समाधान के रूप में पेश कर रही हो, लेकिन अभ्यर्थियों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया जल्दबाजी और बिना जमीनी सत्यापन के की जा रही है।
क्या बोले पीड़ित दंपत्ति?
लक्ष्मी राठौर के पति ने मीडिया से बातचीत में कहा –
“हम लोग 20 साल से एक ही जिले में रहकर सेवा दे रहे हैं। अगर स्थानांतरण करना भी है तो कम से कम हमारी बात तो सुनी जाए। हम रोए, गिड़गिड़ाए, लेकिन अधिकारी ने हमें नौटंकीबाज कहकर निकाल दिया। यह अपमानजनक है।”
शिक्षकों ने मांगा न्याय, और युक्तियुक्तकरण पर पुनर्विचार
इस मामले के सामने आने के बाद शिक्षकों के संगठनों ने भी प्रशासन से युक्तियुक्तकरण की पूरी प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं शिक्षकों का मनोबल गिराने वाली हैं और इससे शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।





