CG HIGH COURT : हाई कोर्ट का अहम फैसला,अवैध संतान को भी अनुकंपा नियुक्ति का हक
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) से जुड़े मामले में अवैध संतान को भी अनुकंपा नियुक्ति का हकदार माना। कोर्ट की डिवीजन बेंच ने SECL की अपील खारिज करते हुए सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराया। यह मामला कोरबा निवासी विक्रांत कुर्रे से जुड़ा था, जिन्होंने SECL में अपने पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था।
मामला कैसे सामने आया ?
विक्रांत कुर्रे के पिता मुनीराम कुर्रे SECL में आर्म गार्ड के पद पर कार्यरत थे और 25 मार्च 2004 को उनका निधन हो गया था। मृतक के नामांकन फॉर्म में ग्रेच्युटी के लिए उनकी पहली पत्नी सुशीला कुर्रे और पेंशन के लिए दूसरी पत्नी विमला कुर्रे का नाम दर्ज था। मृतक कर्मचारी की भविष्य निधि और ग्रेच्युटी की राशि को सिविल कोर्ट ने उनकी पत्नी, बेटियों और बेटे विक्रांत के पक्ष में स्वीकृत किया था।
विक्रांत ने SECL में आश्रित रोजगार के लिए आवेदन किया, लेकिन वर्ष 2015 में उनका आवेदन खारिज कर दिया गया। इसके बाद विक्रांत ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने अपील की कि उसे अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार मिलना चाहिए, क्योंकि वह मृतक कर्मचारी का बेटा था, भले ही उसे अवैध संतान माना गया था।
हाई कोर्ट का निर्णय
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने इस मामले में सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए SECL की अपील खारिज कर दी। सिंगल बेंच के जस्टिस संजय के अग्रवाल ने सितंबर 2024 में कहा था कि दूसरी पत्नी से हुए बच्चे को भी अनुकंपा नियुक्ति देने पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इसके लिए मृतक कर्मचारी की पहली पत्नी की सहमति अनिवार्य नहीं है।
हाई कोर्ट ने विक्रांत कुर्रे को अनुकंपा नियुक्ति देने की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने SECL प्रबंधन को निर्देश दिया कि 45 दिनों के भीतर विक्रांत को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने की प्रक्रिया पूरी की जाए।
SECL की अपील खारिज
SECL ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी, लेकिन हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इसे खारिज कर दिया। इस फैसले से न केवल विक्रांत कुर्रे को न्याय मिला, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल भी बन गया, जो भविष्य में ऐसे मामलों में मार्गदर्शन करेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर किसी व्यक्ति की संतान अवैध है, तो भी उसे अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार मिल सकता है, बशर्ते वह संबंधित कर्मचारी का बेटा या बेटी हो।
अदालत की टिप्पणी
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता विक्रांत कुर्रे, भले ही मृतक कर्मचारी की अवैध संतान हो, उसे अनुकंपा नियुक्ति के लिए विचार किए जाने का अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में पहली पत्नी की सहमति की आवश्यकता नहीं है। इससे यह संदेश गया कि अदालतें सामाजिक और कानूनी न्याय को प्राथमिकता देती हैं, और संतान के वैध या अवैध होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है उसका हक।
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