होली 2025: गले लगा लो दिलदार इस होली में… शेरो-शायरी के साथ मनाएं रंगों का त्योहार

होली 2025: का त्योहार खुशी, उमंग और रंगों से भरा होता है। यह दिन न केवल रंगों से खेलकर आनंद मनाने का अवसर है, बल्कि कविता और शायरी के जरिए इसे और भी खास बनाया जाता है। होली के इस पावन मौके पर, शेरो-शायरी और कविताओं का खास महत्व होता है। हिंदी और उर्दू के कई महान कवियों ने इस दिन की अहमियत को अपनी रचनाओं में उतारा है, जो आज भी लोगों के दिलों में बसी हैं।

कवियों की शायरी से रंगीन होली
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने होली के इस अवसर पर शेर लिखा,
“गले मुझको लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में, बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में।”
इस शेर में वह होली को प्रेम और मित्रता का प्रतीक मानते हैं। उनके शब्दों में होली का जो उत्साह और उमंग है, वह सीधे दिल को छू जाता है।

अमीर खुसरो ने भी होली को प्रेम का प्रतीक बताया और लिखा,
“अपने रंगीले पे हूं मतवारी, आखिर अमीर का रंगीला कौन है?”
यह शेर होली के आनंद को प्रेम और समानता के रूप में पेश करता है, जहां हर कोई एक-दूसरे के रंगों में रंग जाता है।

नजीर अकबराबादी की रचनाएं भी होली की बहारों को व्यक्त करती हैं,
“जब फागुन में रंग झमकते हैं, तब बहारें होली की देखते ही बनती हैं।”
नजीर अकबराबादी के शब्दों में होली की खुशियां और रंगों की छांव पूरी दुनिया में फैल जाती है।

हॉलीवुड में भी होली की हलचल
इसके अलावा, हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि हरिवंशराय बच्चन ने होली पर लिखा, “रंग बरसे, भीगे चूनर वाली, रंग बरसे!” यह गाना यश चोपड़ा की फिल्म “सिलसिला” से इतना प्रसिद्ध हुआ कि आज भी होली पर यह गाना गाया जाता है।

होली का त्योहार हमें रंगों के साथ-साथ जीवन में प्रेम, उल्लास और आनंद की भावना को भी महसूस कराता है। इस दिन शेरो-शायरी के जरिए हम अपने रिश्तों को और भी गहरा बना सकते हैं और एक-दूसरे के साथ प्रेम के रंग में रंग सकते हैं।

 

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