शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के मामले में जेल में बंद आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव अरुण पति त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त शर्तों के आधार पर जमानत दे दी है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान शामिल थे, ने सुनवाई के बाद लिया।
क्या है मामला?
अरुण पति त्रिपाठी पर आरोप है कि वे शराब घोटाले में शामिल थे और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले की जांच कर रही है। राज्य शासन और ईडी का कहना है कि त्रिपाठी की संलिप्तता साफ है और यदि उन्हें जेल से रिहा किया जाता है, तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं।
11 महीने से जेल में बंद
सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने यह भी कहा कि अरुण पति त्रिपाठी लगभग 11 महीने से जेल में बंद हैं और निकट भविष्य में उनके खिलाफ मुकदमे की शुरुआत होती नहीं दिख रही है। राज्य शासन ने अपनी दलील में कहा कि अगर त्रिपाठी को जेल से रिहा किया गया तो वे जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने यह मानते हुए कि जांच जारी है और इसे प्रभावित होने से बचाने की जरूरत है, त्रिपाठी को 10 अप्रैल, 2025 को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जमानत देने का मतलब यह नहीं है कि जांच में कोई बाधा आए। इसलिए, ईडी को जांच जारी रखने की पूरी आजादी होगी।
रिहाई की शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि रिहाई के बाद भी जांच चलती रहेगी और त्रिपाठी को इसमें पूरा सहयोग देना होगा। यदि वे जांच को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
आगे क्या होगा?
अब 10 अप्रैल, 2025 को अरुण पति त्रिपाठी को जेल से रिहा किया जाएगा। इसके बाद भी ईडी की जांच जारी रहेगी और यदि त्रिपाठी ने जांच में किसी भी प्रकार की बाधा डालने की कोशिश की, तो उन्हें फिर से जेल भेजा जा सकता है।
यह मामला अभी भी जांच के दायरे में है और आने वाले दिनों में इसमें और भी खुलासे हो सकते हैं।