बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या के बयान पर विवाद, फूल व्यापारियों ने जताई आपत्ति

बेंगलुरु साउथ से सांसद और भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने अपने वेडिंग रिसेप्शन में लोगों से ‘फूलों के गुलदस्ते’ न लाने की अपील की और इसे ‘राष्ट्रीय बर्बादी’ बताया। उनके इस बयान पर फूल व्यवसाय से जुड़े लोगों और किसानों ने कड़ी आपत्ति जताई है।

फूल व्यापारियों ने जताई नाराजगी

साउथ इंडिया फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन (SIFA) के अध्यक्ष टीएम अरविंद ने कहा कि एक जिम्मेदार नेता द्वारा ऐसा बयान देना अनुचित है। उन्होंने कहा, “फूलों की खेती लाखों किसानों की आजीविका का स्रोत है। इसे बर्बादी बताने से उनकी मेहनत का अपमान होता है।”

कर्नाटक में फूलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां लगभग 38,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फूल उगाए जाते हैं, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। एसोसिएशन के अनुसार, इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 11 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं।

क्या कहा था तेजस्वी सूर्या ने?

बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने अपने फेसबुक और यूट्यूब लाइव के जरिए लोगों को वेडिंग रिसेप्शन में आमंत्रित किया था। इस दौरान उन्होंने अनुरोध किया कि कोई भी मेहमान फूलों के गुलदस्ते न लाए, क्योंकि यह ‘राष्ट्रीय बर्बादी’ है।

उनके इस बयान के बाद फूलों के व्यापार से जुड़े लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई। एसोसिएशन का कहना है कि फूलों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है और भारत में इन्हें शुभ अवसरों पर उपहार के रूप में देने की परंपरा रही है।

“आजीविका को खतरे में डालने वाला बयान”

टीएम अरविंद ने कहा कि फूलों का व्यापार पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। कृत्रिम फूलों की बढ़ती मांग और अस्थिर बाजार कीमतों के कारण किसान पहले ही परेशान हैं। ऐसे में तेजस्वी सूर्या का यह बयान उनके व्यवसाय को और नुकसान पहुंचा सकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि चिक्कबल्लापुरा से बीजेपी सांसद के सुधाकर ने हाल ही में संसद में फूलों की खेती को बढ़ावा देने की बात कही थी और एक फ्लोरीकल्चर बोर्ड बनाने का प्रस्ताव भी रखा था।

फूलों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

भारत में फूलों का उपयोग सिर्फ सजावट के लिए नहीं बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों से भी किया जाता है। मंदिरों में पूजा के दौरान फूलों की जरूरत होती है, शादी-ब्याह और अन्य शुभ अवसरों पर भी फूलों का विशेष महत्व होता है।

एसोसिएशन का कहना है कि महंगे गिफ्ट देने से बचने की बात समझ में आती है, लेकिन फूलों को बर्बादी कहना सही नहीं है। यह उन लाखों किसानों की मेहनत का अपमान है जो अपनी रोजी-रोटी के लिए फूलों की खेती करते हैं।

क्या तेजस्वी सूर्या लेंगे अपना बयान वापस?

अब देखने वाली बात यह होगी कि तेजस्वी सूर्या अपने बयान पर कायम रहते हैं या किसानों की आपत्तियों को देखते हुए इसे वापस लेते हैं। फिलहाल इस विवाद ने राजनीति और व्यापार दोनों क्षेत्रों में चर्चा को जन्म दे दिया है।

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