KYC क्यों जरूरी है? बैंक से मोबाइल तक हर जगह इसकी अहमियत

नई दिल्ली:आजकल बैंक अकाउंट खोलते समय, मोबाइल सिम लेने या डिजिटल वॉलेट में ट्रांजैक्शन करने पर KYC की जरूरत होती है। KYC का मतलब होता है ‘Know Your Customer’, यानी अपने ग्राहक को पहचानना। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि सेवा का उपयोग करने वाला व्यक्ति वास्तविक है और कोई धोखाधड़ी नहीं कर रहा।

KYC के लिए आमतौर पर पहचान और पते से जुड़े दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी मांगी जाती है। कभी-कभी लाइव फोटो या वीडियो वेरिफिकेशन भी किया जाता है। बैंकिंग क्षेत्र में यह जरूरी होता है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जीवाड़े को रोका जा सके। बिना KYC के बैंक केवल सीमित सेवा ही दे पाता है, और यदि समय पर KYC पूरा न किया जाए तो खाते को फ्रीज भी किया जा सकता है।

मोबाइल सिम खरीदते वक्त भी KYC की जाती है ताकि सिम कार्ड असली व्यक्ति के नाम पर हो और जालसाजी, फर्जी कॉलिंग और स्पैम से बचाव हो सके। अब आधार आधारित eKYC और OTP के जरिए पहचान बहुत आसान हो गई है।

डिजिटल पेमेंट ऐप्स जैसे Paytm, Google Pay, PhonePe में भी बिना KYC केवल सीमित लेन-देन संभव है। फुल एक्सेस पाने के लिए KYC अनिवार्य है। KYC के तीन तरीके हैं: फिजिकल KYC, जहां दस्तावेजों की फोटो और फॉर्म भरे जाते हैं; eKYC, जो आधार OTP के जरिए होती है; और वीडियो KYC, जिसमें लाइव वीडियो कॉल से पहचान की पुष्टि होती है।

इस तरह KYC हर क्षेत्र में सुरक्षा और विश्वसनीयता के लिए जरूरी प्रक्रिया बन चुका है, जिससे देश में वित्तीय और डिजिटल सिस्टम सुरक्षित और पारदर्शी बने रहते हैं।

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