कलेक्टर कहां-कहां देखे, शिक्षा सचिव भी कुछ करें…, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने क्यों लगाई अफसरों को फटकार
बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्कूलों के जर्जर भवन के मामले में संज्ञान लिया है. अदालत ने शासन और शिक्षा सचिव से प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी है. हाईकोर्ट ने जर्जर स्कूल भवनों को ठीक करने पर सरकार से शपथ पत्र पर प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. इस मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिविजन बेंच ने शिक्षा सचिव पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कलेक्टर कहां-कहां देखे, शिक्षा सचिव भी कुछ करें. मालूम हो कि शाला जतन योजना में 1837 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. चीफ जस्टिस ने पूछा कि राशि का इस्तेमाल कहां हुआ? स्कूलों की स्थिति सुधरी या सिर्फ कागजों पर? सरकार ने बताया कि 31 मार्च 2024 तक 2219 स्कूलों को डिस्मेंटल और 9000 स्कूलों को रिपेयर करने का लक्ष्य है.
जर्जर स्कूलों के मामले में कोर्ट का बड़ा आदेश
दरअसल, प्रदेशभर के शासकीय स्कूलों में से कई जगहों पर भवन जर्जर हो चुके हैं. बारिश में इन स्कूलो की हालत और भी खराब हो जाती है. इसे लेकर खबरों के सामने आने पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिविजन बेंच में सुनवाई हुई. बता दें कि मुख्यमंत्री शाला जतन योजना में 1837 करोड़ सत्र 2022-23 में शासकीय स्कूलों के लिए जारी किया गया है. अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब यह जानकारी दी तो चीफ जस्टिस ने कहा कि इस राशि का इस्तेमाल कहां किया गया, वास्तव में स्कूलों की स्थिति सुधर रही है या सब कागजों पर ही है.