भारत की वो श्रापित नदियां, जिसका पानी छुना भी पाप है

नई दिल्ली : हमारा देश भारत, जहां हमेशा से ही नदियों का धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्‍व रहा है… और नदियों को मां का दर्जा दिया जाता है… इसके अलावा कई ऐसी नदियां हैं, जैसे गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, सरस्वती, नर्मदा, सतलुज.. जिनका भारतीय संस्कृति में बेहद धार्मिक महत्व हैं.. कहते हैं कि इन नदियों में स्‍नान करने मात्र से ही आप सारे पापों से मुक्त हो जाते हैं…आपके सारे पाप धुल जाते हैं… वहीं कुछ नदियां ऐसी भी है.. जो श्रापित हैं और उसका पानी छुना भी मना है…. और इन नदियों के पानी को छुने मात्र से ही आपके सारे पुण्य धुल जाएंगे और आप पाप के भागीदार बन जाएंगे..

  1. कर्मनाशा नदी- इस नदी का नाम तो शायद आपने भी सुना होगा… यह नदी बिहार और उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है.. और जैसा कि इसका नाम है कर्मनाशा….ठीक उसी तरह इसके पानी को छुने मात्र से ही आपके सारे अच्छे कर्मों का नाश हो जाता है… और आप पाप के भागीदार कहलाते हैं.. ये हमारा नहीं… बल्कि इन दोनो राज्‍य के लोगों का मानना है….जी हां…उनका मानना है कि जो लोग इस नदी को छू लेते हैं… उनके बनते काम भी बिगड जाते हैं… वहीं कुछ लोग ये भी कहते हैं कि इस नदी का पानी ही श्रापित है, इसलिए लोग इसके पानी को छूना भी नहीं चाहते….

2. चंबल नदी- इस नदी का नाम आपने जरुर सुना होगा… काफी फेमस है.. और ये नदी भारत की सबसे साफ नदियों में गिनी जाती है…इसके अलावा चंबल, मध्‍यप्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है… आपने हिंदी फिल्मों में भी इस नदी के बारे में सुना होगा.. क्योकि चंबल को डाकुओं का इलाका माना जाता है… हांलाकि अब यहां पर डाकू नहीं रहते…. लेकिन इस नदी को लोग अपवित्र जरूर मानते हैं। इसे लेकर ऐसा कहा जाता है कि ये नदी कई जानवरों के खून से उत्पन्न हुई हे। एक कहानी के मुताबिक एक राजा रतिदेव ने हजारों जानवरों को मार डाला था और उमके खून को इस नदी में बहने दिया। इस घटना के बाद से लोग इसे श्रापित मानने लगे।

3. फाल्गु नदी- ये नदी धार्मिक जगहों में से एक है….और इसके आसपास की नदियों को देवी का रूप माना जाता है….लेकिन बिहार के गया जिले में बहने वाली फल्‍गु नदी के बारे में कुछ और ही कहा जाता है। गया बिहार का जिला है, जहां हर साल लाखों लोग पिंडदान और श्राद्ध करने के लिए पहुंचते हैं। यहां के लोग नदी को देवी नहीं बल्कि श्रापित मानते हैं… कहते हैं कि इस नदी को माता सीता ने श्राप दिया था, तब से लोग इस नदी पर जाने से बचते हैं ।

4. कोसी नदी- इस नदी के बारे में भी हम सभी ने किताबों में ही पढ़ा है। बहुत ज्‍यादा लोग इससे परिचित नहीं है लेकिन नेपाल से हिमालय में निकलने वाली ये नदी सुपौल, पूर्णिया, कटिहार से बहती हुई कोसी ताजमहल के पास गंगा में मिल जाती है… यहां इसे शोक नदी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं जब भी इस नदी में बाढ़ आती हैं, तो स्थानीय लोग प्रभावित होते हैं और कई लोगों की तो जान भी चली जाती है… हालांकि, लोग इसे श्रापित नहीं कहते, लेकिन इसे शोक नदी के नाम से बुलाते हैं…

 

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