हाईकोर्ट से बिलासपुर नगर निगम को राहत, 4.07 करोड़ भुगतान के आदेश रद्द

बिलासपुर नगर निगम को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने कमर्शियल कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें नगर निगम को कंसल्टेंट कंपनी मैनहार्ट को 4.07 करोड़ रुपए चुकाने को कहा गया था। यह मामला स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है।

क्या है मामला

साल 2010 में नगर निगम ने स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम के लिए योजना और डिजाइनिंग का काम करने एक कंसल्टेंट कंपनी को नियुक्त करने के लिए टेंडर निकाला था। इस टेंडर को सिंगापुर की मैनहार्ट कंपनी को सौंपा गया। 24 जनवरी 2011 को कंपनी के साथ एग्रीमेंट हुआ, जिसके तहत प्रोजेक्ट की कुल लागत का 1.18% हिस्सा कंपनी को भुगतान किया जाना था।

कंपनी को 33.53 करोड़ रुपए का डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनानी थी, लेकिन उसने सर्वे करने के बाद 333.93 करोड़ रुपए का डीपीआर तैयार कर दिया। इसके आधार पर कंपनी ने 1.18% के हिसाब से 4.07 करोड़ रुपए की मांग की।

नगर निगम और कंपनी के बीच विवाद

नगर निगम ने इतनी बड़ी रकम देने से इनकार कर दिया। इसके बाद मामला मध्यस्थता (Arbitration) में चला गया। 7 फरवरी 2018 को मध्यस्थ ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया और नगर निगम को 4.07 करोड़ रुपए चुकाने को कहा। साथ ही यह भी तय किया गया कि अगर तीन महीने में भुगतान नहीं हुआ तो 9% वार्षिक ब्याज भी देना होगा।

नगर निगम ने इस आदेश को कमर्शियल कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन वहां भी उसे हार मिली। इसके बाद निगम ने हाईकोर्ट का रुख किया।

हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने नगर निगम को राहत देते हुए कमर्शियल कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है। इस फैसले के बाद अब नगर निगम को मैनहार्ट कंपनी को 4.07 करोड़ रुपए नहीं देने होंगे।

नगर निगम के लिए यह बड़ा फैसला है, क्योंकि पहले उसे भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ता, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से अब उसे राहत मिल गई है।

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