मध्यप्रदेश

कचरे से आय का नया रास्ता, इंदौर एयरपोर्ट से शुरू होगा प्रोजेक्ट

इंदौर का अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डा जल्द ही जीरो वेस्ट एयरपोर्ट बन जाएगा, जिससे कचरे का पुनर्चक्रण किया जाएगा। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राम मोहन नायडू 22 दिसंबर को रिसायकल प्लांट का उद्घाटन करेंगे। इस पहल से एयरपोर्ट को कचरे से आय होगी और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा। कचरे से कैसे होगी कमाई पढ़िए पूरी खबर

इंदौर जो पहले ही देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब अपने नाम कर चुका है, अब एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है शहर का अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डा जल्द ही देश का पहला “जीरो वेस्ट एयरपोर्ट” बनने वाला है। यह पहल इंदौर की स्वच्छता  और पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगी। इस नई उपलब्धि के साथ, इंदौर एयरपोर्ट पर कचरे के निस्तारण और प्रबंधन के लिए एक अत्याधुनिक रिसायकल प्लांट स्थापित किया जा रहा है।

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रिसायकल प्लांट का उद्घाटन

इस रिसायकल प्लांट का उद्घाटन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राम मोहन नायडू 22 दिसंबर को इंदौर एयरपोर्ट पर करेंगे। यह प्लांट एयरपोर्ट पर आने वाले कचरे को सही तरीके से निपटाने में मदद करेगा और इंदौर एयरपोर्ट को कचरे के निस्तारण के मामले में आत्मनिर्भर बना देगा। पहले, एयरपोर्ट को कचरे के निस्तारण के लिए नगर निगम को शुल्क चुकाना पड़ता था, लेकिन अब यह प्लांट न केवल कचरे को पुनः उपयोग योग्य बनाएगा, बल्कि एयरपोर्ट के लिए एक नया आय स्रोत भी बनेगा।

जीरो वेस्ट का उद्देश्य

इंदौर एयरपोर्ट को जीरो वेस्ट बनाने का मुख्य उद्देश्य 4R सिद्धांत को लागू करना है, जिसमें रिड्यूस (घटाना), रीयूज़ (पुनः उपयोग करना), रिसायकल (पुनः चक्रित करना) और री स्टोर (पुनर्निर्माण करना) शामिल हैं। यह सिद्धांत इस प्रयास का आधार है कि एयरपोर्ट से उत्पन्न कचरे का जितना संभव हो सके, पुनर्चक्रण किया जाए और उसे पुनः उपयोग किया जाए, ताकि कचरे की मात्रा को कम किया जा सके।यह पहल पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कचरे के सही तरीके से प्रबंधन से न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि इससे एयरपोर्ट के ऑपरेशंस में भी सुधार होगा।

एयरपोर्ट पर कचरे का निस्तारण

इंदौर एयरपोर्ट पर विभिन्न प्रकार के कचरे का निस्तारण किया जाएगा, जिसमें मुख्य रूप से गीला कचरा (organic waste) और सूखा कचरा (dry waste) शामिल है। यह कचरा एयरलाइंस, दुकानों और एयरपोर्ट के गार्डन से निकलता है। रिसायकल प्लांट में इन दोनों प्रकार के कचरे का व्यवस्थित तरीके से निस्तारण किया जाएगा।

गीला कचरा: इसमें खाद्य पदार्थों और अन्य जैविक कचरे को शामिल किया जाता है। इसे कम्पोस्टिंग या बायोगैस निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

सूखा कचरा: इसमें प्लास्टिक, कागज, धातु और अन्य पुनर्चक्रण योग्य सामग्री शामिल होती है। इस कचरे को रिसायकल करके नए उत्पादों में बदला जा सकता है, जैसे कागज, प्लास्टिक या धातु के सामान।

इस प्लांट का उद्देश्य इन दोनों प्रकार के कचरे का पुनः उपयोग करना और उन्हें पर्यावरण के लिए हानिकारक न बनने देना है।

इंदौर एयरपोर्ट के लिए आर्थिक लाभ

इस रिसायकल प्लांट से एयरपोर्ट को कचरे के निस्तारण की प्रक्रिया से आय होगी। पहले, एयरपोर्ट को नगर निगम को कचरे के निस्तारण के लिए शुल्क देना पड़ता था, लेकिन अब रिसायकल प्लांट की स्थापना से यह लागत घटेगी और एयरपोर्ट को कचरे से होने वाली आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा, कचरे के पुनर्चक्रण से पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि यह प्लांट कचरे को घटाकर उसे पुनः उपयोग योग्य बनाएगा।यह कदम एयरपोर्ट की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदारी को और बढ़ाएगा, और इसे एक स्थायी व पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार हवाई अड्डा बनाएगा।

इंदौर की बढ़ती पर्यावरणीय प्रतिबद्धता

इंदौर की यह नई पहल और प्रयास शहर की बढ़ती पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पहले ही इंदौर ने स्वच्छता के मामले में पूरे देश में एक मिसाल पेश की है, और अब यह एयरपोर्ट के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में भी एक कदम आगे बढ़ रहा है। जीरो वेस्ट एयरपोर्ट बनने से न केवल इंदौर का नाम और प्रसिद्धि बढ़ेगी, बल्कि अन्य हवाई अड्डों और शहरों के लिए भी यह एक उदाहरण बनेगा, जो पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करेगा।

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