बड़ी खबर: बस्तर में माओवाद कमजोर, हिडमा के सरेंडर पर बोली सरकार – “जल्द मिलेगी खुशखबरी”

जगदलपुर। बस्तर में माओवादी संगठन अब अपने अस्तित्व को बचाने की कोशिश में जुटे हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने मार्च 2026 तक बस्तर सहित देश से नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य तय किया है। इसी के तहत अब पुलिस और प्रशासन की रणनीति भी बदली गई है। पहले जहां एनकाउंटर पर जोर था, अब सरकार सरेंडर और गिरफ्तारियों को प्राथमिकता दे रही है।

इस नई नीति का असर साफ दिख रहा है। बीजापुर जैसे सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिले में साल 2024 से अब तक 650 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि 196 नक्सली मारे गए और 986 गिरफ्तार हुए हैं। हाल ही में नक्सली नेता रूपेश के साथ 208 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया था, जो पुलिस के लिए बड़ी सफलता रही।

अब सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है -आखिर कुख्यात नक्सली नेता हिडमा कब सरेंडर करेगा? इस पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, “बहुत लोग संपर्क में हैं, जल्द ही खुशखबरी मिलेगी।”

विजय शर्मा ने सीआरपीएफ कैंप के विरोध और समाजसेवी सोनी सोढ़ी के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि, “कुछ लोग माहौल बिगाड़ने के लिए विरोध भड़का रहे हैं, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि तेलंगाना में माओवादियों की श्रद्धांजलि सभा में सोनी सोढ़ी का बयान बेअसर है और उसका कोई मतलब नहीं है।

सरकार का मानना है कि अब बस्तर में माओवादी कमजोर हो चुके हैं और आने वाले महीनों में बड़ी संख्या में सरेंडर देखने को मिल सकते हैं।

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