महाकुंभ: विश्व के सबसे बड़े आयोजन का अंतिम दिन, जाने 44 दिनों में क्या क्या हुआ ?

महाकुंभ: का आज आखिरी दिन है, महाशिवरात्रि पर्व स्नान के साथ ही 45 दिनों तक चले महाकुंभ का समापन हो जाएगा। इसी के यह ऐतिहासिक आयोजन एक अद्वितीय धरोहर के रूप में दर्ज हो गया है। , जिसे न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया ने देखा। इस महाकुंभ में करीब 65 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, जो किसी भी धार्मिक आयोजन का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यह संख्या अमेरिका की पूरी आबादी से भी दोगुनी है।
अब तक महाकुंभ में 20 देशों से लोग पहुंचे , जिनमें से कई विदेशी नागरिकों ने भी इस पवित्र अवसर पर संगम में स्नान किया। खास बात यह है कि इस बार महाकुंभ में विदेशी श्रद्धालुओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है, और हजारों की तादाद में विदेशी पर्यटकों ने इस धार्मिक महासंस्कार में भाग लिया।
महाकुंभ का आयोजन न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धर्म की विशालता को भी प्रदर्शित करता है। साथ ही, इस आयोजन ने पूरी दुनिया को एक संदेश दिया है कि भारत में धर्म, संस्कृति और श्रद्धा का जो अद्भुत संगम है, वह कहीं और देखने को नहीं मिलता।
वही बात करे महाकुंभ के नकारात्मक पहलुओं की। तो इस भव्य आयोजन के साथ कुछ समस्याएं भी जुड़ी रही। जैसे ही महाकुंभ की आखिरी स्नान की तारीख नजदीक आई, प्रयागराज में भीड़ बढ़ने के कारण यातायात व्यवस्था में काफी कठिनाइयां आईं। 25 फरवरी से वाहनों की नो-एंट्री लागू कर दी गई थी, और संगम घाट की ओर जाने वाले रास्तों पर भारी भीड़ जमा हो गई।
कई श्रद्धालु घाट पर स्नान के बाद वापस घर नहीं लौट सके, कई जगहों पर भगदड़ जैसी स्थिति भी खड़ी हुई, जिसमे कई लोगों की जान चली गयी इसके साथ ही, इस आयोजन में हादसों का भी सिलसिला जारी रहा। पिछले 44 दिनों में 100 से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में 150 लोगों की जान गई, और 385 से ज्यादा लोग घायल हुए। इनमें से कई लोग जीवनभर के लिए अपंग हो गए। राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर हादसों की संख्या सबसे ज्यादा रही, जहां करीब 40 से अधिक लोगों की मौत हुई।
यहां तक कि इस बार कई वीवीआईपी और बड़े नेता भी महाकुंभ में स्नान करने आए, जिनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री, और प्रमुख धर्मगुरु शामिल थे। हालांकि, इन हादसों और भीड़-भाड़ ने आयोजन की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल उठाए।
महाकुंभ की भव्यता और धार्मिक महत्व के साथ ही, इसके आयोजन से जुड़ी कुछ चुनौतियां भी सामने आईं। यह सच है कि इस तरह के बड़े आयोजन में सुरक्षा और व्यवस्था पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। फिर भी, महाकुंभ ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारतीय संस्कृति और श्रद्धा का कोई मुकाबला नहीं है, और यह एक अनमोल धरोहर है।





