खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह को नहीं मिली राहत, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

चंडीगढ़। खालिस्तान समर्थक और लोकसभा सांसद अमृतपाल सिंह को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली है। अमृतपाल, जो खडूर साहिब सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में हैं। उन्होंने संसद की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति मांगते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।
अमृतपाल की याचिका पर क्या कहा अदालत ने?
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने अदालत को सूचित किया कि लोकसभा ने अमृतपाल को 54 दिनों की अनुपस्थिति की छुट्टी दी है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए उनकी सदस्यता बरकरार रखी, लेकिन संसद में उनकी उपस्थिति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
क्यों की गई थी अमृतपाल की गिरफ्तारी?
अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने 23 अप्रैल, 2023 को गिरफ्तार किया था। वह हत्या, अपहरण और गैरकानूनी गतिविधियां (UAPA) जैसे गंभीर मामलों का सामना कर रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद से वह निवारक हिरासत में हैं और उन पर अभी तक कोई मुकदमा नहीं चला है।
अमृतपाल ने 2024 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में रिकॉर्ड 2 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। उनके प्रचार का काम उनकी अनुपस्थिति में उनके माता-पिता और परिवार ने संभाला था।
अदालत में क्या तर्क दिए गए?
अमृतपाल के वकील ने दलील दी कि यदि वे 60 दिनों तक संसद की कार्यवाही से अनुपस्थित रहते हैं, तो उनकी सदस्यता खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने इसी आधार पर अमृतसर के जिला मजिस्ट्रेट और लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा था।
पंजाब सरकार ने उनकी याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हिरासत में रहते हुए सांसद को संसद की कार्यवाही में भाग लेने का कोई संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है। राज्य के वकील अनुपम गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी पहले ऐसे मामलों में स्पष्ट किया है कि हिरासत में रहते हुए संसद में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
क्या बोले थे अमृतपाल के समर्थक?
अमृतपाल की अनुपस्थिति के चलते पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने भी संसद में उनके सत्रों में भाग लेने की अनुमति देने की मांग की थी। यह मुद्दा जुलाई 2024 में संसद में भी उछला था।
क्या है आगे की स्थिति?
अब देखना होगा कि अमृतपाल सिंह की कानूनी टीम आगे क्या कदम उठाती है। उनकी लोकसभा सदस्यता फिलहाल बरकरार है, लेकिन संसद में भाग लेने की अनुमति नहीं मिलने से उनके राजनीतिक करियर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस मामले ने पंजाब की राजनीति में हलचल मचा दी है और लोगों की नजरें अब उच्च न्यायालय के अगले फैसले पर टिकी हुई हैं।