हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति के नियम वैध, 1475 शिक्षकों की पोस्टिंग अब जल्द संभव

रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों और प्रक्रिया को पूरी तरह वैध माना है। इसके साथ ही प्रमोशन को लेकर दाखिल की गई आधा दर्जन याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं।

इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस ए.के. प्रसाद ने की। कोर्ट ने कहा कि सरकार की नीति और मापदंड पूरी तरह सही हैं और उसमें कोई कानूनी गड़बड़ी नहीं है।

हालांकि एक याचिका अभी भी सिंगल बेंच में लंबित है, जो रिटायर शिक्षक नारायण प्रकाश तिवारी ने दायर की थी। यह याचिका अब जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की कोर्ट में चल रही है और बीते पांच दिनों से लगातार इसकी सुनवाई हो रही है।

क्या है मामला?

राज्य सरकार ने 30 अप्रैल को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी, लेकिन 1 मई को हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद डिवीजन बेंच में 9 जून से 17 जून तक लगातार सुनवाई हुई। कोर्ट ने 17 जून को फैसला सुरक्षित रखा था और 4 अगस्त को अपना आदेश जारी किया।

अब जब डिवीजन बेंच ने साफ कर दिया है कि सरकार के बनाए नियम सही हैं, तो शिक्षा विभाग 1475 शिक्षकों को प्राचार्य पद पर पदस्थ करने की तैयारी में है। लेकिन नारायण तिवारी की याचिका पर अंतिम फैसला आने तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएगी।

नारायण तिवारी की याचिका पर अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी। माना जा रहा है कि इस पर अंतिम निर्णय आने के बाद ही प्राचार्य पदोन्नति की पोस्टिंग प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

यह फैसला राज्य के हजारों शिक्षकों के लिए राहत भरी खबर है, जो लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं।

 

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