आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की निंदा, महिला सशक्तिकरण और संगठन के विस्तार पर चर्चा

बेंगलुरु में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में संगठन के पिछले 100 वर्षों के कामकाज और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की गई। बैठक में आरएसएस के विस्तार, समाज में योगदान, महिला सशक्तिकरण के प्रयासों और विभिन्न सामाजिक पहलों पर बात की गई।
आरएसएस के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने बताया कि संघ का लक्ष्य ‘सर्व स्पर्शी, सर्व व्यापी’ होना है, जिसका मतलब है कि समाज और राष्ट्र के सभी पहलुओं को छूना। उन्होंने बताया कि संघ अब तक 134 प्रमुख संस्थानों में मौजूद है और आने वाले वर्षों में सभी संस्थानों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। ओडिशा के कोरापुट और बोलनगीर के जनजातीय इलाकों में संघ की 1031 शाखाएं काम कर रही हैं, जिनमें वहां के स्थानीय लोग सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।
महिला सशक्तिकरण पर किए गए प्रयास
पिछले वर्ष के दौरान महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी संघ ने बड़े कदम उठाए हैं। अरुण कुमार ने बताया कि लगभग 1.5 लाख पुरुष और महिला हस्तियों से संपर्क कर उनके साथ बातचीत की गई। लोकमाता अहिल्या देवी होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर देशभर में 22,000 कार्यक्रम और शिखर सम्मेलन आयोजित किए गए। इन आयोजनों में महिलाओं की भागीदारी और उनके योगदान को प्रोत्साहित करने पर विशेष जोर दिया गया।
विकलांग बच्चों की मदद
अरुण कुमार ने बताया कि संघ सिर्फ अपने विस्तार पर नहीं, बल्कि समाज की समस्याओं के समाधान पर भी काम कर रहा है। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में कुछ विकलांग बच्चों की पहचान की गई, जिन्हें सामान्य जीवन जीने में कठिनाई हो रही थी। संघ कार्यकर्ताओं ने न केवल उनकी चिकित्सा सहायता का प्रबंध किया, बल्कि उन्हें आजीविका के साधन भी उपलब्ध कराए।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की निंदा
बैठक में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया गया। आरएसएस ने कहा कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों के हाथों हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा, जबरन धर्मांतरण और संपत्तियों की लूट पर गहरी चिंता है।
अरुण कुमार ने बताया कि 1951 में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 22% थी, जो अब घटकर सिर्फ 7.95% रह गई है। यह आंकड़ा इस संकट की गंभीरता को दर्शाता है। प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की गई है कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दें और आवश्यक कदम उठाएं।
क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा
प्रस्ताव में पाकिस्तान और डीप-स्टेट तत्वों के हस्तक्षेप की भी चेतावनी दी गई है, जो सांप्रदायिक तनाव बढ़ाकर क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। आरएसएस ने कहा कि भारत और उसके पड़ोसी देशों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत एक जैसी है, इसलिए क्षेत्र के एक हिस्से में होने वाला कोई भी विवाद पूरे उपमहाद्वीप को प्रभावित कर सकता है।
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि संघ का विस्तार समाज की सकारात्मक शक्ति में वृद्धि को दर्शाता है, न कि केवल अपनी संख्या में वृद्धि को।