धर्मांतरण और मानव तस्करी केस में कोर्ट का निर्देश, याचिका एनआईए कोर्ट में दायर करें

दुर्ग। दुर्ग की सेशन कोर्ट ने मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के मामले में आरोपी नन प्रीति मैरी, वंदना फ्रांसिस और एक अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि यह मामला एनआईए अधिनियम के अंतर्गत आता है।
न्यायाधीश अनीश दुबे की अदालत ने कहा कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता याचिका वापस लें या हम उसे खारिज कर देंगे। अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपियों को अपनी याचिका एनआईए की विशेष अदालत में लगानी चाहिए।
25 जुलाई को दुर्ग स्टेशन से इन ननों की गिरफ्तारी जीआरपी ने की थी। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि तीनों युवतियाँ स्वेच्छा से काम करने आगरा जा रही थीं और पहले से ही ईसाई थीं, इसलिए जबरन धर्मांतरण का कोई सवाल नहीं है। अभियोजन ने धारा 143 बीएनएस के तहत केस दर्ज होने का हवाला देते हुए कहा कि मामला एनआईए कोर्ट में ही चल सकता है।
इस बीच, वामपंथी सांसद बृंदा करात और अन्य नेताओं ने जेल में जाकर ननों से मुलाकात की और उन्हें झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया। वहीं भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस पर आदिवासी समाज में सुनियोजित धर्मांतरण का आरोप लगाया और संसद में विजय बघेल ने इसे एक बड़ा षड्यंत्र करार दिया।





