कांग्रेस:नए परिसीमन का असर पूरे भारत पर,मनीष तिवारी का बयान

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने हाल ही में नए परिसीमन पर अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि इसे पाकिस्तान और चीन से लगी भारतीय सीमा को ध्यान में रखते हुए एक नए तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इसका असर न केवल दक्षिण भारत पर बल्कि उत्तर भारत पर भी पड़ेगा।
नए परिसीमन का प्रभाव
मनीष तिवारी ने कहा कि यदि संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन “एक नागरिक, एक वोट और एक मूल्य” के सिद्धांत पर किया जाता है, तो उत्तर भारत के संसदीय क्षेत्रों का कुल प्रतिशत काफी कम हो जाएगा। इससे उत्तर भारत के संसदीय क्षेत्रों की प्रासंगिकता में गिरावट हो सकती है, क्योंकि यह सिद्धांत इस क्षेत्र को हाशिये पर डाल सकता है। तिवारी ने चेतावनी दी कि यदि यह परिसीमन इसी आधार पर हुआ, तो उत्तर भारत के लिए यह एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है।
राज्य स्तर पर चुनौतियां
इसके अलावा, मनीष तिवारी ने पंजाब और हरियाणा के बीच संसदीय सीटों की संख्या को लेकर भी चिंता जताई। उनके अनुसार, परिसीमन के दौरान सीटों की संख्या लगभग बराबर हो सकती है, जिससे पंजाब को ऐतराज हो सकता है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश की सीटों की संख्या में कोई बदलाव नहीं होगा, जो राज्य के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन सकता है। जम्मू-कश्मीर में सीटों की संख्या 6 से बढ़कर 9 हो सकती है, लेकिन यह भी राज्य के लिए एक चुनौती हो सकती है।
सुरक्षा के दृष्टिकोण से उत्तरी भारत का महत्व
तिवारी ने यह भी कहा कि भारत के उत्तरी भाग की सीमाएं पाकिस्तान और चीन से जुड़ी हुई हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में, परिसीमन में उत्तरी भारत की जरूरतों और संवेदनशीलता को उचित रूप से ध्यान में रखना चाहिए।
नए तरीके की आवश्यकता
मनीष तिवारी ने यह सुझाव दिया कि परिसीमन को इस प्रकार से किया जाना चाहिए कि सभी राज्यों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को नए सदन की संरचना में उचित रूप से परिलक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि यदि मौजूदा सिद्धांतों का पालन किया गया तो जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण नहीं किया, उन्हें फायदा होगा, जबकि जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों को नुकसान हो सकता है।