कांग्रेस:कन्हैया कुमार की राजनीति में एंट्री, बिहार में बेचैनी का माहौल

कांग्रेस की बिहार में पदयात्रा की शुरुआत, पलायन और बेरोजगारी के मुद्दे पर कन्हैया कुमार की सक्रियता से राजनीतिक पिच पर हलचल बढ़ने वाली है। कांग्रेस की यह यात्रा 16 मार्च से शुरू होकर 14 अप्रैल तक चलेगी, जिसका मुख्य उद्देश्य बिहार के युवा मुद्दों, जैसे कि रोजगार और पलायन, को प्रमुखता देना है।
कांग्रेस की नई रणनीति और कन्हैया की भूमिका
कांग्रेस, जो पिछले चार दशकों से सत्ता से बाहर रही है, अब अपनी सियासी जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है। कन्हैया कुमार को युवा चेहरा बनाकर पार्टी ने बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने की योजना बनाई है। कन्हैया कुमार ने महात्मा गांधी के चंपारण से यात्रा शुरू करने का फैसला लिया, और यह यात्रा बिहार के विभिन्न हिस्सों से होती हुई पटना में समाप्त होगी।
तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर का दबाव
कन्हैया की एंट्री से बिहार के सियासी माहौल में तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर को भी चुनौती मिल सकती है। तेजस्वी यादव पहले ही रोजगार के मुद्दे पर सक्रिय हैं और उनकी योजना 2025 के चुनावों में इसी मुद्दे पर केंद्रित रहने की है। कन्हैया का सक्रिय होना उनके लिए परेशानी का कारण बन सकता है, क्योंकि कांग्रेस अब अपने युवा चेहरे के जरिए इस मुद्दे को फिर से उठाना चाहती है।
आरजेडी के लिए चुनौती
कन्हैया कुमार की सक्रियता से आरजेडी को सबसे ज्यादा बेचैनी हो सकती है, क्योंकि कांग्रेस अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जिससे सीट बंटवारे में और टकराव हो सकता है। आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे का मामला पहले से ही उलझा हुआ है, और कन्हैया कुमार की एंट्री इस स्थिति को और जटिल बना सकती है।
बीजेपी की नई रणनीति
कन्हैया कुमार की एंट्री से बीजेपी को एक नया मुद्दा मिल सकता है। पहले कन्हैया को ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ से जोड़ा जाता था, और अब बीजेपी इस मुद्दे का इस्तेमाल अपने सियासी फायदे के लिए कर सकती है।
कुल मिलाकर, कन्हैया कुमार की बिहार में सक्रियता से कांग्रेस और आरजेडी के रिश्तों में खटास आ सकती है, और आने वाले चुनावों में यह सियासी समीकरण अहम भूमिका निभाएंगे।