सिखाई जाती थी तो कहीं यह जात से हट कर एक विशेष पांत भी जाती थी

कहीं यह विद्या जाति के विद्यालय | सिखाई जाती थी तो कहीं यह जात से हट कर एक विशेष पांत भी जाती थी। बनाने वाले लोग कहीं एक जगह बसे मिलते थे तो कहीं -घूम कर इस काम को करते थे।  घम गजधर एक सुन्दर शब्द है, तालाब बनाने वालों को आदर के साथ याद करने के लिए। राजस्थान के कुछ भागों में यह शब्द आज भी बाकी है। गजधर यानी जो गज को धारण करता है। और गज वही जो नापने के काम आता है। लेकिन फिर भी समाज ने इन्हें तीन हाथ की लोहे की छड़ लेकर घूमने वाला मिस्त्री नहीं माना। गजधर जो समाज को गहराई को नाप ले – उसे ऐसा दर्जा दिया गया है। गजधर वास्तुकार थे। गांव-समाज हो या नगर-समाज – उसके नव निर्माण की, रख-रखाव की ज़िम्मेदारी गजधर निभाते थे। नगर नियोजन से लेकर छोटे से छोटे निर्माण के काम गजधर के कधों पर टिके थे। वे योजना बनाते थे, कुल काम की लागत निकालते थे, काम में लगने वाली सारी सामग्री जुटाते थे और इस सबके बदले वे अपने जजमान से ऐसा कुछ नहीं मांग बैठते थे, जो वे दे न पाएं। लोग भी ऐसे थे कि उनसे जो कुछ बनता, वे गजधर को भेंट कर देते। काम पूरा होने पर पारिश्रमिक के अलावा गजधर को सम्मान ‘ भी मिलता था। सरोपा भेंट करना अब शायद सिर्फ सिख परंपरा में ही बचा समाज की गहराई नापते रहे हैं गुणाधर

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