होर्मुज धमकी से कांपा अमेरिका, ईरान के कदम पर चीन से मदद की गुहार

वॉशिंगटन:ईरान और इज़राइल के बीच जारी संघर्ष अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है, जब अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया और बदले में ईरान ने फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ने वाले रणनीतिक जलमार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दे दी। इस धमकी ने वैश्विक स्तर पर खलबली मचा दी है, क्योंकि इस जलमार्ग से विश्व के लगभग 20 फीसदी तेल और गैस की आपूर्ति होती है।
ईरान की चेतावनी के बाद अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चीन से आग्रह किया है कि वह ईरान पर दबाव बनाए और उसे इस जलमार्ग को बंद करने से रोके। उन्होंने कहा कि चीन की अपनी तेल जरूरतों के चलते भी यह मसला उनके लिए अहम है। यदि ईरान ऐसा कदम उठाता है, तो यह केवल मध्य पूर्व ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी गहरा झटका देगा।
रुबियो ने कहा, “अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो यह उनके लिए आर्थिक आत्मघात जैसा कदम होगा। हमारे पास इससे निपटने के विकल्प हैं, लेकिन इस पर अन्य देशों को भी प्रतिक्रिया देनी चाहिए, क्योंकि असर सबसे अधिक उन्हीं पर पड़ेगा।”
फॉक्स न्यूज पर एक साक्षात्कार में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान की कोई भी जवाबी कार्रवाई उसकी अब तक की सबसे बड़ी गलती होगी। अमेरिका ईरान से संवाद के लिए तैयार है, लेकिन सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
इस बीच, चीन ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले की कड़ी आलोचना की है। बीजिंग ने इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। चीन ने सभी पक्षों, विशेष रूप से इज़राइल से, युद्ध विराम की अपील की है।
भारत भी इस घटनाक्रम को गंभीरता से ले रहा है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वस्त किया है कि भारत के पास पर्याप्त तेल भंडार है और आपूर्ति वैकल्पिक मार्गों से जारी रहेगी। हालांकि, वैश्विक तेल कीमतों में उछाल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।





