123 फास्ट-ट्रैक कोर्ट…फिर भी बच्चों से अपराध की घटनाएं कम क्यों नहीं’ केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी से पूछा सवाल
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या मामले में सीबीआई तेजी से जांच कर रही है। वहीं दूसरी तरफ केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या मामले पर घिरीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को केंद्र सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। केंद्र ने कहा कि दुष्कर्म और बाल उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई के लिए बंगाल को 123 फास्ट-ट्रैक अदालतें आवंटित की गई हैं, लेकिन उनमें से कई अभी तक काम नहीं कर रही हैं।
सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था पत्र
आलोचनाओं का सामना कर रहीं सीएम बनर्जी ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर दुष्कर्मियों को सजा देने के लिए एक सख्त केंद्रीय कानून की मांग की थी। टीएमसी सुप्रीमो ने अपने पत्र में इस बात पर भी प्रकाश डाला कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर रोज 90 दुष्कर्म के मामले होते हैं। और कई मामलों में, पीड़ितों की हत्या कर दी जाती है।
दुष्कर्म की प्रवृत्ति को देखना भयावह- सीएम ममता
सीएम ममता ने आगे लिखा, दुष्कर्म की प्रवृत्ति को देखना भयावह है। यह समाज और राष्ट्र के आत्मविश्वास और विवेक को झकझोरता है। इसे खत्म करना हमारा परम कर्तव्य है ताकि महिलाएं सुरक्षित महसूस करें। इस तरह के गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को सख्त केंद्रीय कानून के माध्यम से निपटने की जरूरत है। उन्होंने ऐसे मामलों से निपटने के लिए फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा।
मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने सीएम ममता बनर्जी का दिया जवाब
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के जवाब में सीएम ममता बनर्जी को पत्र लिखा है। केंद्रीय मंत्री ने मृतक डॉक्टर के माता-पिता के प्रति अपनी संवेदना जताते हुए पत्र की शुरुआत की। मंत्री ने कहा कि पिछले महीने लागू की गई भारतीय न्याय संहिता ‘कड़ी सजा का प्रावधान करके महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मुद्दों को व्यापक रूप से संदर्भित करती है’।
बंगाल को 123 फास्ट-ट्रैक अदालतें आवंटित की गईं
उन्होंने कहा कि योजना के तहत पश्चिम बंगाल राज्य को कुल 123 फास्ट-ट्रैक अदालतें आवंटित किए गए थे, जिसमें 20 विशेष POCSO अदालतें और 103 संयुक्त फास्ट-ट्रैक अदालतें शामिल थे, जो दुष्कर्म और POCSO अधिनियम दोनों मामलों से निपटते हैं। हालांकि, इनमें से कोई भी अदालत जून 2023 के मध्य तक चालू नहीं हुई थी।