नक्सलियों ने सरकार को लिखा पत्र, ऑपरेशन रोकने लगाई गुहार

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में चल रहे सबसे बड़े एंटी-नक्सल ऑपरेशन के बीच माओवादियों ने केंद्र और राज्य सरकारों को एक नया पत्र भेजा है। इस पत्र में माओवादियों ने युद्धविराम की घोषणा और आपसी बातचीत के जरिए समस्या का हल निकालने की पेशकश की है।
पत्र में माओवादियों ने आरोप लगाया है कि जनवरी 2024 से शुरू हुए “ऑपरेशन कगार” के तहत पुलिस, अर्धसैनिक बलों और कमांडो यूनिट्स ने सैकड़ों माओवादियों के साथ-साथ कई निर्दोष आदिवासियों को भी मारा है। इस कथित हिंसा की आलोचना देश-विदेश के कई जन संगठनों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और क्रांतिकारी दलों द्वारा की जा रही है।
माओवादियों ने अपनी ओर से शांति वार्ता के लिए तीन प्रेस विज्ञप्तियां जारी करने का जिक्र किया है, जिनमें एक केंद्रीय समिति की ओर से और दो प्रेस विज्ञप्तियां “कामरेड रूपेष” के माध्यम से दंडकारण्य के उत्तर-पश्चिम सब-जोनल ब्यूरो द्वारा जारी की गई हैं। उन्होंने कहा कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं, बशर्ते सरकार पहले सैन्य कार्रवाई को रोके और एक औपचारिक युद्धविराम की घोषणा करे।
सरकार संविधान के अधिकार को कुचल रही
माओवादियों ने पत्र में यह भी आरोप लगाया है कि झारखंड के बोकारो में माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य कामरेड विवेक की हत्या योजनाबद्ध तरीके से की गई, ताकि पार्टी नेतृत्व को समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकारें संविधान का हवाला देकर शासन कर रही हैं, लेकिन उसी संविधान में दिए गए नागरिकों के ‘जीवन के अधिकार’ को खुद ही कुचल रही हैं।
माओवादियों ने चेतावनी दी है कि यदि इस तरह की सैन्य कार्रवाइयाँ जारी रहीं, तो शांति वार्ता की प्रक्रिया बेअसर साबित होगी। उन्होंने छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में एक तय समयसीमा के तहत युद्धविराम लागू करने की मांग की है।
हथियार छोड़े तब होगी चर्चा: डिप्टी सीएम साव
नक्सलियों के इस पत्र के बाद छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील कर चुकी है और उनके पुनर्वास के लिए विशेष नीति भी बनाई गई है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो लोग हथियार लेकर देश और समाज के खिलाफ चलेंगे, उनसे सख्ती से निपटना ही होगा। हमारे सुरक्षा बलों का यह कर्तव्य है कि वे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। डिप्टी सीएम ने दोहराया कि शांति वार्ता तभी संभव है जब नक्सली हिंसा और हथियार छोड़ने की दिशा में पहल करें।





