रेत माफियाओं का आतंक, बेलगाम हाइवा बन रहे मौत की वजह, प्रशासन बेबस

रायपुर: प्रदेश में रेत माफियाओं का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। राजधानी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक अवैध रेत खनन और परिवहन धड़ल्ले से जारी है। 18-20 चक्के वाले हाइवा तेज रफ्तार से सड़कों पर दौड़ रहे हैं और आए दिन हादसों का कारण बन रहे हैं। बीते एक साल में इन बेलगाम हाइवों की चपेट में आकर 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके प्रशासन रेत माफियाओं पर लगाम कसने में नाकाम साबित हो रहा है।
राजनीति में फेल, लेकिन रेत माफिया में अव्वल
रेत का अवैध कारोबार प्रदेश में एक तगड़ा मुनाफे वाला धंधा बन चुका है। राजनीति में असफल रहे नेता अब इस धंधे में सबसे आगे हैं। छुटभैया नेताओं से लेकर मंत्रियों के करीबी तक इस सिंडिकेट का हिस्सा बने हुए हैं। सरकार किसी भी पार्टी की हो, रेत माफियाओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। पंचायत चुनावों के दौरान किए गए वादों के विपरीत, जनप्रतिनिधि ही इस काले कारोबार में लिप्त नजर आ रहे हैं।
रेत की कीमत आसमान पर, सरकार बेखबर
कुम्हारी, पारागांव, हरदीडीह, कुरुद, कागदेही और लखना जैसे इलाकों में रेत माफिया जमकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। यहां एक हाइवा रेत की कीमत 5,000 से 6,000 रुपये है, जो निर्माण स्थलों तक पहुंचते-पहुंचते 12,000 से 14,000 रुपये तक हो जाती है। जबकि सरकारी दर के अनुसार प्रति हाइवा रेत की कीमत 1,500 रुपये तय की गई है।
रॉयल्टी की भी कालाबाजारी
रेत खनन करने वालों को यदि एक हाइवा की रॉयल्टी चाहिए, तो 700 रुपये की रसीद के बदले 3,000 रुपये वसूले जा रहे हैं। सरकारी निर्माण कार्यों में एक-एक ट्रिप के लिए रॉयल्टी भरनी पड़ती है। कुछ साल पहले आरंग में अवैध खनन के आरोप में 13 ग्राम सचिवों पर कार्रवाई हुई थी, लेकिन इसके बावजूद अवैध रेत खनन का सिलसिला जारी है।
महानदी के किनारे 12 से ज्यादा गांवों में अवैध खनन
महानदी के अलावा अरपा, सोंढूर और शिवनाथ नदी के किनारे बसे गांवों में भी रेत माफियाओं का आतंक है। राजिम में मिलने वाली तीनों नदियों से भारी मात्रा में अवैध रेत निकाली जा रही है।
खुलेआम हो रहे इस अवैध कारोबार को रोकने में प्रशासन विफल साबित हो रहा है। आरोप है कि सरकारी अफसरों और रेत माफियाओं के बीच सांठगांठ के कारण यह धंधा बेरोकटोक जारी है।
प्रशासन की कार्रवाई, 3 हाइवा और मशीन जब्त
हालांकि, प्रशासन ने रविवार को कागदेही गांव में बड़ी कार्रवाई की। तहसीलदार सीता शुक्ला और खनिज विभाग की संयुक्त टीम ने एक चैन माउंटेन मशीन और तीन हाइवा जब्त किए। बताया जा रहा है कि यहां अवैध रूप से रैंप बनाकर महासमुंद जिले से रेत का परिवहन किया जा रहा था।
प्रशासन का कहना है कि अवैध रेत खनन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर प्रशासन वाकई सख्त है तो फिर यह काला कारोबार अब तक क्यों फल-फूल रहा है?