छत्तीसगढ़ का प्राचीन रत्न: मल्हार – जहां इतिहास, आस्था और कला मिलती है एक साथ

छत्तीसगढ़
क्या आप भारत में ऐसी जगह की तलाश में हैं, जहां संस्कृति, इतिहास और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम हो?
अगर हाँ, तो मल्हार आपके लिए एक अनमोल यात्रा स्थल हो सकता है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित यह ऐतिहासिक कस्बा, प्राचीन मंदिरों, कलात्मक वास्तुकला और रहस्यमयी कहानियों का खजाना है।
मल्हार कहां है?
मल्हार, बिलासपुर शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह भारत के सबसे पुराने ऐतिहासिक नगरों में से एक माना जाता है, जिसका इतिहास 5वीं शताब्दी ईस्वी से जुड़ा है। पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह स्थान बेहद समृद्ध है और यहाँ पर समय-समय पर कई खुदाइयाँ हो चुकी हैं।
देउरी मंदिर – विष्णु भक्ति की अमिट छाप
मल्हार का सबसे प्रसिद्ध और भव्य मंदिर है देउरी मंदिर, जिसे 10वीं शताब्दी में कलचुरी वंश के राजा रत्नदेव द्वितीय ने बनवाया था।
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और नागर शैली की उत्कृष्ट वास्तुकला को दर्शाता है।
मुख्य आकर्षण:
15 मीटर ऊंचा शिखर
काले पत्थर से बनी विष्णु की चार भुजाओं वाली प्रतिमा
दीवारों और स्तंभों पर उत्कृष्ट नक्काशी और पुष्प चित्रांकन
रोचक कथा:
मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक अनोखी कथा भी है – जब शिल्पकार देव शर्मा ने राजा की बेटी से विवाह की शर्त पर मंदिर निर्माण किया, जिसे बाद में राजा ने रोकने की कोशिश की। किंवदंती है कि स्वयं भगवान विष्णु ने देव शर्मा को मार्गदर्शन दिया और मंदिर पूरा हुआ।
देउर मंदिर परिसर – विविध देवताओं का घर
देउर मंदिर परिसर में शिव, गणेश, पार्वती, कार्तिकेय, सूर्य, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती जैसे देवताओं को समर्पित नौ मंदिर हैं।
इनका निर्माण नागर, द्रविड़ और वेसर शैलियों में किया गया है, जो भारत की विविध स्थापत्य परंपराओं को दर्शाता है।
विशेष आकर्षण:
कामुक मूर्तियाँ, जो खजुराहो और कोणार्क की शैली से मेल खाती हैं
ये मूर्तियाँ प्राचीन कलाकारों की कलात्मक स्वतंत्रता और संस्कृति में श्रृंगार की अवधारणा को दर्शाती हैं
माँ डिंडेश्वरी मंदिर – आस्था का जीवंत केंद्र
यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है, जिन्हें मल्हार की संरक्षक देवी माना जाता है।
लगभग 1000 साल पुराना
पीतल की अष्टभुजा देवी की मूर्ति
भक्तों द्वारा बजाई जाने वाली विशाल घंटी
नवरात्रि उत्सव:
सितंबर-अक्टूबर में नवरात्रि के दौरान मंदिर में हजारों श्रद्धालु जुटते हैं।
मंदिर परिसर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है, और एक विशाल मेला भी आयोजित होता है जिसमें लोक कला, नाटक, हस्तशिल्प और संगीत की झलक देखने को मिलती है।
कैसे पहुंचे मल्हार?
निकटतम रेलवे स्टेशन: बिलासपुर जंक्शन (40 किमी)
सड़क मार्ग: बिलासपुर से टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है
निकटतम हवाई अड्डा: स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, रायपुर (150 किमी)





