नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जीवन ‘खटाखट’ नहीं है, बल्कि यहां पर कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.
वह जिनेवा में भारतीय समुदाय को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने इस कार्यक्रम में कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 सालों में बुनियादी ढांचा के विकास के लिए बहुत सारा काम किया है. विदेश मंत्री ने कहा कि जब तक हम अपने मानव संसाधन को ठीक से नहीं समझेंगे और उसका विकास नहीं करेंगे, तब तक हमें सफलता नहीं मिलेगी.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 सालों में इसे ठीक से समझा, उसके लिए प्रयास किया और लगातार उसका विकास कर रहे हैं, इसलिए जीवन खटाखट नहीं है, बल्कि हमें लगातार कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि कुछ लोग ये सवाल उठाते हैं कि आप चीन से इतना अधिक व्यापार क्यों कर रहे हैं, तो ऐसे लोगों को सबसे पहले यह जानना चाहिए कि भारत ने साठ और सत्तर के दशक में अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान दिया होता, तो इसकी नौबत ही नहीं आती. अब हमारी सरकार इसकी कोशिश कर रही है, हम अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ा रहे हैं, और इसके लिए बुनियादी ढांचा तैयार हो रहा है. उन्होंने कहा कि रातों-रात कोई भी उपलब्धि हासिल नहीं होती है, उसके लिए अच्छी नीतियां चाहिए और कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, न कि खटाखट सब कुछ मिल जाता है.
आपको बता दें कि इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने अपने प्रचार अभियान के दौरान कई बार खटाखट शब्दों का प्रयोग किया था. उन्होंने कहा था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो वह देश के हर गरीब परिवार की एक महिला के खाते में एक लाख रु. ट्रांसफर करेगी और ये पैसे खटाखट ट्रांसफर हो जाएंगे…खटाखट…खटाखट…खटाखट.
राहुल गांधी इस समय अमेरिकी यात्रा पर हैं. उन्होंने टेक्सास में छात्रों से बात करते हुए बेरोजगारी के मुद्दे को अहम बताया. उन्होंने कहा कि भारत में बेरोजगारी का मुद्दा बड़ा है, जबकि चीन और वियतनाम जैसे देशों में यह उतना बड़ा मुद्दा नहीं है. राहुल ने कहा कि हाल के वर्षों में वैश्विक उत्पादन का केंद्र चीन बन गया है, जबकि कुछ साल पहले तक अमेरिका इसकी अगुआई करता था.
विदेश मंत्री ने और क्या कहा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत की उपलब्धियां पूरे विश्व में दिख रही हैं और सबकोई इसे स्वीकार भी कर रहा है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हमें किसी भी उपलब्धियां पर आत्मसंतोष नहीं होना चाहिए. विदेश मंत्री शुक्रवार को सऊदी अरब का दौरा करने के बाद जर्मनी से जिनेवा पहुंचे थे.