परिसीमन पर संसद में हंगामा, दक्षिण के सांसदों का प्रदर्शन, कांग्रेस का समर्थन

नई दिल्ली: साल 2026 की जनगणना के बाद होने वाले परिसीमन को लेकर संसद में भारी हंगामा हुआ। दक्षिण भारतीय राज्यों के सांसदों ने इसका कड़ा विरोध किया, उनका तर्क है कि लोकसभा सीटों का जनसंख्या के आधार पर पुनर्वितरण उनके लिए नुकसानदायक होगा, जबकि उत्तर भारतीय राज्यों को इसका बड़ा फायदा मिलेगा।

गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई, जिसके चलते कार्यवाही बाधित करनी पड़ी। डीएमके समेत दक्षिण के अन्य दलों के सांसदों ने संसद के भीतर और बाहर प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने भी दक्षिणी राज्यों की मांग को जायज ठहराते हुए समर्थन दिया।

दक्षिण के नेताओं का कहना है कि अगर लोकसभा सीटों की संख्या 543 ही रहती है और उन्हें दोबारा विभाजित किया जाता है, तो तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा। इस मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने 22 मार्च को चेन्नई में एक बैठक बुलाई है, जिसमें दक्षिण के सभी दलों को एकजुट करने की रणनीति बनाई जाएगी।

कांग्रेस सांसद विवेक तनखा ने कहा कि परिसीमन राजनीतिक दृष्टि से एक बड़ा मुद्दा है। इससे पहले भी इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी सरकारों ने संविधान संशोधन कर परिसीमन को रोक दिया था। अब 2026 में यह मुद्दा फिर से सामने आने के बाद विवाद बढ़ना स्वाभाविक है।

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