जानिए क्या है अंतरिक्ष स्टेशन? जहां 9 महीने से फंसी थी सुनीता विलियम्स

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 2 नवंबर साल 2000 को बार अंतरिक्ष यात्रियों की टीम पहुंची थी। तब से ही अंतरिक्ष यात्री ISS पर जा रहे हैं। समेत के साथ ही इसमें कई हिस्से जोड़े गए। नासा और दुनियाभर के उसके भागीदारों ने साल 2011 में अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण पूरा किया था।
अंतरिक्ष स्टेशन का आकार 5 बैडरूम वाले घर जितना बड़ा है। इसमें 6 चालक दल और यहां पर आने वाले अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं। पृथ्वी पर अंतरिक्ष स्टेशन का वजन करीब 10 लाख पाउंड होगा। इसमें अमेरिका, रूस, जापान और यूरोप के प्रयोगशाला शामिल हैं।
पृथ्वी की कक्षा में स्थित अन्तरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन एक बड़ा अंतरिक्ष यान हैं, जो घर के तौर पर काम करता है। यहां पर अंतरिक्ष यात्रियों की टीम रहती है। ये एक अनोखा प्रयोगशाला है। कई देशों ने अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण किया है और वे इसका इस्तेमाल करते है। अंतरिक्ष स्टेशन उन भागों से बना है, जिन्हे अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष में ही जोड़ा था।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक़रीबन 402 किलोमीटर की औसत ऊंचाई पर पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इसमें सबसे हैरान करने वाली बात ये है, कि 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से ये अंतरिक्ष में घूमता है। साथ ही हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है। नासा की तरफ से अंतरिक्ष स्टेशन का अंतरिक्ष में रहने और काम करने के बारे में अधिकारी जानकारी के लिए इस्तेमाल करता है।
इस समय पूरी दुनिया में अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की चर्चा है। धरती पर सकुशल उनकी वापसी ने हर भारतीय के चहरे पर मुस्कान ला दिया है। इसका कारण यही है कि वे भारतीय मूल की हैं। 19 मार्च की तड़के सुबह 3 बजे सुनीता विलियम्स अपने साथी बुच विल्मोर के साथ स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर फ्लोरिडा के समुद्री तट पर सुरक्षित उतरी।
9 महीने से ज्यादा समय तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे रहने के बाद उनकी ये वापसी किसी चमत्कार से काम नहीं है, लेकिन इस ख़ुशी के बीच एक पुराना दर्द फिर से उभर आया है। उस दर्द का नाम कुछ और नहीं बल्कि भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चांवला के साथ घटी वो घटना है।
बात 22 साल पहले 1 फरवरी साल 2003 की है, जहां एक और भारत की बेटी कल्पना चांवला अंतरिक्ष से लौट रही थी। उस समय कोलंबिया अंतरिक्ष यान हादसे में कल्पना चांवला की मौर हो गई थी। उस दिन हर भारतीय की आँखें नम थी। अब सुनीता की वापसी उस अधूरी उम्मीद को फिर से याद दिला रही है, की काश कल्पना का यान भी धरती पर लौट पाता।
तो चलिए जानते है आखिर कल्पना चांवला के साथ कैसे घटी घटना। अंतरिक्ष यात्री कल्पना चांवला अपने दूसरे अंतरिक्ष मिशन STS- 107 पर गई थी। 16 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद कोलंबिया अंतरिक्ष यान धरती की तरफ लौट रहा था, लेकिन लैंडिंग से महज 16 मिनट पहले यान के बाएं पंख में खराबी के कारण हादसे का शिकार हो गया।
टेक्सास और लुइसियाना के ऊपर आसमान में बिखरते कोलंबिया ने कल्पना सहित सात अंतरिक्ष यात्रियों को दुनिया से छीन लिया। उस दिन आसमान का मंजर देख हर भारतीय दुखी था। सुनीता और कल्पना दोनों भारतीय मूल की है और दोनों ने अंतरिक्ष में लंबे मिशन पुए किए है। दोनों ने ही अपने साहस से दुनिया को चौंकाया है।
उस समय कोलंबिया हादसे ने नासा को सबक दिया था कि, सुरक्षा में कोई चूक नहीं होनी चाहिए, शायद यही वजह है कि सुनीता की वापसी को इतना सावधानी से अंजाम दिया गया। फिलहाल सुनीता विलियम्स और उनके साथियों की वापसी पर भारत सहित दुनियाभर में जश्न का माहौल बना हुआ है।





