जानिए जद्दन बाई की तवायफ से, भारत की पहली महिला संगीतकार बनने की कहानी?

मुंबई : आप सब ने नेटफ्लिक्स की मशहुर वेब सीरिज हीरामंडी: द डायमंड बाजार” देखी ही होगी… जिसमें तवायफों के जीवन के पहलुओं को बताया गया है…आज हम ऐसी ही तवायफ की कहानी आपको बताने जा रहे हैं… जो भारत की पहली महिला संगीतकार बनी और जिनकी बेटी भारत की मशहूर अदाकारा हुईं और सांसद भी बनीं…. मैं बात कर रही हुं जद्दनबाई की…

जद्दनबाई की आवाज के लोग थे दिवाने

बात है 1892 के गुलाम भारत की, जब इलाहाबाद यानी कि वर्तमान के प्रयागराज के कोठे की मशहूर तवायफ दलीपाबाई के घर जद्दनबाई का जन्म हुआ… जद्दनबाई, दलीपाबाई की बेटी है… … जद्दन बाई की परवरिश कोठे पर ही हुई… और मां के नक्शेकदम पर जद्दनबाई भी ठुमरी और गजलें सुनाने लगीं…. गाने की फनकारी उन्हें अपने खून में ही मिली.. जद्दन बाई की आवाज में वो कशिश थी कि जो उनको सुनता, वो सुध-बुध खो देता.. . जद्दनबाई जब गायकी में उतरीं तो उन्हें मां से भी बेहतरीन तवायफ का दर्जा मिल गया…और कोठे पर ही उनकी आवाज की दीवानगी का ये आलम कुछ युं था कि उनको सुनने आए दो ब्राह्मण परिवार के नौजवानों ने उनसे शादी करने के लिए इस्लाम कबूल कर लिया….

जद्दनबाई की हुई तीन शादियां

बता दें कि जद्दन बाई ने कुल तीन शादियां की थीं। कोठे पर ठुमरी और गजलें गाने वाली जद्दन बाई तीसरी शादी के बाद बॉम्बे आ गईं, जहां फिल्में बना करती थीं। बनारस के कोठे से बंबई की फिल्मी दुनिया तक का उनका सफर बहुत उतार-चढ़ाव भरा रहा… आजादी से पहले का वो दौर जब लड़कियों का फिल्मों में काम करना तवायफ के पेशे से भी ज्यादा बुरा माना जाता था, तब एक कोठे पर गाने वाली ही भारत की पहली फीमेल म्यूजिक डायरेक्टर बनी.. उनके कोठे से फिल्मों के सफर तक की हम आगे बात करेंगे.. फिलहाल बात करते हैं उनकी शादी की…..

शादी करने के लिए ब्राह्मण ने अपनाया इस्लाम

कोठे में पली बढ़ीं जद्दन बाई को गायकी और नृत्य का हुनर अपनी मां से मिला था… जद्दन बाई कोठे में पली बढ़ीं जरूर… लेकिन उनके कोठे पर देह व्यापार नहीं होता था बल्कि सिर्फ ठुमरी और गजलें पेश की जाती थीं… जद्दन बाई जैसे ही बड़ी होती गईं तो मां की लीगेसी को आगे बढ़ाने के लिए उन्होने खुद कमान संभाल ली और मां से भी ज्यादा पहचान हासिल की… लोग इनकी एक नजर में ऐसे दीवाने हो जाया करते थे कि इनके लिए सब कुछ छोड़ने के लिए भी राजी हो जाते थे… उनके पहले पति थे नरोत्तम दास.. जिन्हें लोग बच्ची बाबू नाम से जानते थे… नरोत्तम दास को जद्दन बाई ऐसे प्यार हुआ कि उन्होंने इनके लिए इस्लाम कबूल कर शादी कर ली। दोनों का एक बेटा अख्तर हुसैन हुआ। बेटे के जन्म के कुछ सालों बाद ही नरोत्तम जद्दन बाई को छोड़कर चले गए और कभी लौटे ही नहीं….

क्रांतिकारियों को पनह देती थी जद्दन बाई

चंद सालों तक अकेले बेटे की परवरिश कर रहीं जद्दन बाई पर कोठे में ही हारमोनियम बजाने वाले मास्टर उस्ताद इरशाद मीर खान का दिल आ गया.. जद्दन बाई ने इनसे दूसरी शादी की जिससे इन्हें दूसरा बेटा अनवर हुसैन हुआ। चंद सालों में ही दोनों अलग हो गए… इसके बाद गुलाम भारत में अंग्रेज आए दिन जद्दन बाई के घर पर छापेमारी करवाया करते थे… क्योंकि अंग्रेजों को शक था कि जद्दन बाई अपने घर में क्रांतिकारियों को जगह देती हैं… अंग्रेजों के दबाव के चलते जद्दन बाई कुछ समय बाद बनारस छोड़कर कोलकाता आ गईं और यहां एक कोठे पर गाना शुरू किया।

तीसरी शादी से बेटी नरगिस का जन्म

कोलकाता में, लखनऊ के एक रईस परिवार के मोहन बाबू, पानी के जहाज से कोलकाता से लंदन डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए रवाना होने वाले थे.. जहाज के रवाना होने में देरी हुई तो वो शाम को समय गुजारने के लिए जद्दन बाई के कोठे पर जा पहुंचे… जद्दन बाई को देखते साथ ही मोहन बाबू ने उनसे शादी करने की जिद पकड़ ली… मोहनबाबू, अपने पूरे परिवार को छोड़कर आ गए… मोहन बाबू ने भी जद्दन बाई से शादी के लिए इस्लाम कबूल कर, अपना नाम राशीद रख लिया और फिर दोनों ने शादी कर ली. साल 1929 में दोनों की एक बेटी हुई, जिसे नाम दिया नरगिस…. ये वही नरगीस हैं जिन्होने फिल्मी दुनिया में अपना लोहा मनवाया और अदाकारी.. आज भी लोगों के दिलों में बसी है…

ऐसे शुरु हुआ सफर

नरगीस के जन्म के बाद जद्दनबाई ने कोठे से बाहर कदम रखा.. उन्होने कोठे से निकलकर संगीत के उस्तादों से संगीत सीखने शुरु किया… इसके बाद इनकी गायकी की चर्चा जगह – जगहब होने लगी… इनकी गाई गजलों को यूके की म्यूजिक कंपनी रिकॉर्ड करके ले जाया करती थी… ब्रिटिश शासक इन्हें महफिलों में बुलाया करते थे… रेडियो स्टेशन में जद्दनबाई की आवाज देशभर के लोगों को दीवाना कर रही थी… पॉपुलैरिटी बढ़ी तो इन्हें लाहौर की फोटोटोन कंपनी की फिल्म राजा गोपीचंद में काम मिला.. और इस तरह से इनका म्यूजिक डायरेक्टर बनने का सफर शुरु हुआ..

युं बनी पहली महिला म्यूजिक कंपोजर

जद्दन बाई ने कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया और बाद में ये परिवार के साथ सपनों के शहर या कहें तो माया नगरी मुंबई पहुंच गईं,.. जहां बड़े स्तर पर फिल्में बन रही थीं… यहां उन्होंने खुद की प्रोडक्शन कंपनी संगीत फिल्म शुरू की और तलाश-ए-हक फिल्म बनाई… इसी फिल्म में जद्दनबाई ने अभिनय करने के साथ म्यूजिक कंपोज भी किया… और बन गई इतिहास की पहली महिला म्यूजिक कंपोजर…

 

 

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