तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में बढ़ा खतरा: साइलेंट हार्ट अटैक बिना लक्षणों के भी ले सकता है जान

आज की भागदौड़ और तनावभरी ज़िंदगी में दिल की बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक अब “साइलेंट हार्ट अटैक” यानी ऐसा दिल का दौरा जो बिना किसी स्पष्ट लक्षण के होता है, लोगों के लिए नई चुनौती बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि हर साल करीब 1.8 करोड़ लोग हार्ट संबंधी बीमारियों से मरते हैं, जिनमें से कई साइलेंट हार्ट अटैक के शिकार होते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक तब होता है जब दिल की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल और फैट जमा होकर ब्लड फ्लो को रोक देते हैं। इससे हार्ट की मांसपेशियों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचता है, लेकिन मरीज को सामान्य हार्ट अटैक की तरह तेज दर्द या बेचैनी महसूस नहीं होती। कई बार इसका पता तब चलता है जब नुकसान काफी बढ़ चुका होता है। डॉक्टर बताते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, धूम्रपान, असंतुलित आहार और लगातार तनाव इसके मुख्य कारण हैं।
राजीव गांधी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अजीत जैन का कहना है कि साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण बहुत हल्के होते हैं — जैसे सीने में हल्का दबाव या जलन, सांस फूलना, थकान, नींद में परेशानी या पीठ, गर्दन और कंधे में हल्का दर्द। कई बार लोग इन्हें गैस या एसिडिटी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। डायबिटीज के मरीजों में तो यह अटैक बिना किसी दर्द के भी हो सकता है, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों, खासकर डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को नियमित जांच करानी चाहिए। समय पर ECG या डॉक्टर की सलाह लेने से इस बीमारी को रोका जा सकता है।
कैसे करें बचाव:
- ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल की नियमित जांच करें।
- रोज़ाना कम से कम 30 मिनट वॉक या हल्की एक्सरसाइज करें।
- तले और मीठे खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
- धूम्रपान और शराब पूरी तरह छोड़ दें।
- पर्याप्त नींद लें और तनाव से दूरी बनाए रखें।
साइलेंट हार्ट अटैक भले ही बिना चेतावनी के आता हो, लेकिन जागरूकता और सही जीवनशैली अपनाकर इससे बचाव पूरी तरह संभव है।





