मारे गए नक्सलियों के शवों पर हाईकोर्ट का फैसला

रायपुर। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने शनिवार को दो मारे गए माओवादी नेताओं नंबाला केशव राव और सज्जा वेंकट नागेश्वर राव – के परिजनों द्वारा दायर रिट याचिकाओं का निस्तारण कर दिया। ये दोनों नेता 21 मई को छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगलों में सुरक्षा बलों की ओर से चलाए गए बड़े नक्सल विरोधी अभियान में मारे गए 27 नक्सलियों में शामिल थे।

हाईकोर्ट की पीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता अंतिम संस्कार के लिए मृतकों के शवों की प्राप्ति हेतु छत्तीसगढ़ के संबंधित पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि शवों को सौंपने की प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा नहीं डाली जाएगी, बशर्ते सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी हों।

सुनवाई के दौरान अदालत ने मारे गए माओवादी नेताओं के पोस्टमॉर्टम की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी। इस पर छत्तीसगढ़ राज्य के महाधिवक्ता ने बताया कि सभी शवों का पोस्टमॉर्टम शनिवार तक पूरा कर लिया जाएगा और इसके बाद उन्हें परिजनों को सौंप दिया जाएगा। महाधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि शवों की सुपुर्दगी में राज्य सरकार की ओर से कोई रुकावट नहीं होगी।

इन याचिकाओं की पृष्ठभूमि देश के सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियानों में से एक रही है। 21 मई को बीजापुर और नारायणपुर जिले की सीमा पर स्थित अबूझमाड़ के घने जंगलों में सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन में प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू मारा गया। उसके साथ 26 अन्य माओवादी भी मुठभेड़ में मारे गए। इस कार्रवाई में छत्तीसगढ़ पुलिस की डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के दो जवान भी शहीद हुए।

हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद अब संभावना है कि मृत माओवादी नेताओं के परिजन सीधे छत्तीसगढ़ पुलिस से संपर्क करके अंतिम संस्कार के लिए शवों की मांग करेंगे। कोर्ट के इस निर्णय को मानवीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिसमें परिजनों को अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने का अधिकार प्रदान किया गया है।

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