छत्तीसगढ

अस्पताल में उपचार की गुणवत्ता सुधारने पर जोर, विभागीय समन्वय पर हुई चर्चा

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में विस्तार की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल चिकित्सा शिक्षा को और बेहतर करने के प्रयासों में सतत अधिकारियों से फीड बैक ले रहे हैं। इनके निर्देशन में हे आज डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर में गुरुवार को क्लीनिकोपैथोलॉजिकल को-रिलेशन (सीपीसी) मीटिंग का आयोजन चिकित्सालय के टेलीमेडिसिन हाल में किया गया।

इस दौरान आयुक्त चिकित्सा शिक्षा किरण कौशल भी शामिल वर्चुअल रूप में ऑनलाईन जुड़कर मीटिंग का हिस्सा बनी। इस मीटिंग का उद्देश्य रोगियों के उपचार के क्लीनिकल( जांच एवं उपचार से संबंधित/उपचारात्मक) एवं पैथोलॉजिकल (रोग से संबंधित जांच) कारणों का विश्लेषण कर चिकित्सालय में प्रदाय की जाने वाली सेवा में और अधिक सुधार करना है।

इस मीटिंग में डॉक्टरों ने क्लीनिकोपैथोलॉजिकल के क्लीनिकल प्रोटोकॉल पर चर्चा की और क्लिनिकोपैथोलॉजिकल सहसंबंध (कोरिलेशन) के लिए रोगियों के केस पर आधारित डेटा का एनालिसिस (व्याख्या) किया। एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. जया लालवानी ने इस सम्मेलन के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यह मुख्य रूप से चिकित्सा शिक्षण की केस प्रस्तुतिकरण पर आधारित होती है।

केस प्रस्तुतियों के माध्यम से विभिन्न विभागों में भर्ती मरीजों और उनको प्रदान किये गये इलाज के बारे में चर्चा की जाती है। यदि किसी मरीज की मृत्यु हो गई तो उसके मृत्यु के कारणों में नैदानिक (डायग्नोस्टिक जैसे पैथोलॉजिकल एवं रेडियोलॉजिकल जांच) एवं उपचारात्मक (थेराप्यूटिक) कारणों का मूल्यांकन किया जाता है। यदि किसी मरीज को अस्पताल में सही ढंग से इलाज नहीं मिल पाया तो किसकी चूक से यह हुआ, उस विभाग की जिम्मेदारी भी तय की जाती है।

अम्बेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने बताया कि यह चिकित्सा महाविद्यालय एवं संबंधित अस्पतालों में चिकित्सा छात्रों को दिए जाने वाले शिक्षण का एक महत्वपूर्ण भाग है जिसके माध्यम से मरीजों के संपूर्ण उपचार के दौरान उसके क्लीनिकल एवं पैथोलॉजिकल पहलुओं पर चर्चा की जाती है। सम्मेलन में केस डिस्कशन के माध्यम से सारे विभाग के डॉक्टर इलाज के लिए अंतर्विभागीय सहयोग के माध्यम से मरीजों को बेहतर उपचार प्रदान करने के बारे में अपने सुझाव देते हैं।

उपचार के दौरान हुई चूक को सुधार कर उसके अंतिम निदान तक पहुंचते हैं। विभागाध्यक्ष एवं इस मीटिंग के अध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि कई बार मरीज दूसरे अस्पतालों में अपना उपचार करवाते रहते हैं और जब उनकी स्थिति काफी गंभीर हो जाती है, तब हमारे संस्थान में पहुंचते हैं। क्लीनिकोपैथोलॉजिकल को-रिलेशन के माध्यम से गंभीर स्थिति में अस्पताल में पहुंचने वाले केस पर भी चर्चा की गई।

कार्डियोलॉजी एवं सर्जरी विभाग के केस का डिस्कशन किया गया। सभी विभागों से सुझाव दिए गए जिससे सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकें। पैथोलॉजी विभाग की डॉ. राबिया परवीन सिद्दीकी ने बताया कि जितनी जल्दी पैथोलॉजी जांच होगी मरीज का उपचार भी उतनी जल्दी ही शुरू किया जा सकता है। अब पैथोलॉजी जांच के लिए लगने वाले रिएजेंट की उपलब्धता हो जाने से मरीजों की सभी प्रकार की जांच आसानी से हो जा रही है जिससे बीमारी के कारणों का जल्द पता लगाने में आसानी हो रही है।

मीटिंग में सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. मंजू सिंह, डॉ. ओ. पी. सुंदरानी, डॉ. आर. एल. खरे, डॉ. राबिया परवीन सिद्दीकी, डॉ. वर्षा मुंगुटवार, डॉ. एस. के. चंद्रवंशी, डॉ. दिवाकर धुरंधर, डॉ. अंजुम खान समेत अन्य चिकित्सा शिक्षक मौजूद रहे।

 

 

 

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