दिल्ली हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को लगाई फटकार

दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस सी. हरीशंकर और जस्टिस अजय दिग्पॉल की बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने सवाल उठाया कि जब अंतर-कैडर ट्रांसफर नीति में पति-पत्नी को एक ही राज्य में नियुक्ति देने का प्रावधान है, तो पश्चिम बंगाल सरकार अधिकारियों की कमी का बहाना बनाकर स्थानांतरण क्यों रोक रही है।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला अकेला नहीं है, बल्कि पश्चिम बंगाल सरकार से जुड़े कई अन्य मामले भी अदालत में लंबित हैं। अदालत ने राज्य सरकार की मुकदमेबाजी की प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए कहा कि न्यायालय का समय बार-बार एक ही मुद्दे पर बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।
वैवाहिक जीवन के अधिकार का मामला
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दंपति को अलग-अलग राज्यों में काम करने के कारण अपने वैवाहिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी प्रशासनिक प्रक्रियाएं अपनी जगह हैं, लेकिन एक पति-पत्नी को साथ रहने का अधिकार है, जिसे बाधित नहीं किया जाना चाहिए। दोनों आईपीएस अधिकारी हैं और हाल ही में विवाह बंधन में बंधे हैं, लेकिन अलग-अलग कैडर में तैनात होने के कारण वे अपने पारिवारिक जीवन का आनंद नहीं ले पा रहे हैं।
यूपी सरकार को कोई आपत्ति नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि उसे याचिकाकर्ता अधिकारी को पश्चिम बंगाल कैडर से यूपी कैडर में स्थानांतरित करने में कोई आपत्ति नहीं है। दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल सरकार ने अधिकारियों की कमी का हवाला देकर इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
मामला क्या है?
याचिकाकर्ता 2021 में पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी बने थे। उनकी शादी 2020 में उत्तर प्रदेश कैडर की एक आईपीएस अधिकारी से हुई थी। चूंकि उनकी पत्नी वाराणसी में कार्यरत हैं, उन्होंने यूपी कैडर में स्थानांतरण की मांग की थी, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने इसे असंगत ठहराया।
अदालत का रुख
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस तर्क को नकारते हुए कहा कि अंतर-कैडर ट्रांसफर नीति के तहत दंपति को एक साथ रहने का अधिकार है। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को इस मुद्दे को जल्द सुलझाने के निर्देश दिए हैं और यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी तंत्र का काम नागरिकों के अधिकारों का हनन करना नहीं, बल्कि उन्हें सुविधा देना होना चाहिए।