छात्रवास में 7 साल के बच्चे की मौत…..मचा हड़कंप, तबियत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में तोड़ा दम
धमतरी जिला में आदिवासी बालक छात्रावास में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र की मौत हो गयी। बताया जा रहा है कि पिछले दो दिनों से बच्चे की तबियत खराब थी, बावजूद इसके पीड़ित छात्र को अस्पताल नही ले जाया गया। बच्चे की हालत खराब होने के बाद उसे अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया। उधर इस घटना की जानकारी के बाद हड़कंप मचा हुआ है। जवाबदार अधिकारी कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे है।
जानकारी के मुताबिक पूरा घटनाक्रम धमतरी जिले आदिवासी बालक आश्रम करैहा की है। बताया जा रहा है कि 7 वर्षीय छात्र ओमन नेताम कक्षा दूसरी का छात्र था। इसी वर्ष उसने छात्रावास में प्रवेश लिया था। बताया जा रहा है कि छात्र ओमन नेताम का बीते 14 अगस्त बुधवार को तेज बुखार की शिकायत थी। बुखार आने के बाद हॉस्टल प्रबंधन द्वारा बच्चे को अस्पताल ले जाने के बजाये पैरासिटामॉल टेबलेट दे दिया गया। इसके बाद अगले दिन गुरुवार की सुबह 15 अगस्त को हाॅस्टल के सभी लोग स्वतंत्रता दिवस मनाने में व्यस्त हो गये। इस दौरान छात्र ओमन नेताम की तबियत ज्यादा खराब हो गयी।
जिसके बाद उसे अन्य बच्चों से अलग कर ग्राम करैहा के आर मुड़ा पारा से आश्रम लौट दिया गया। बताया जा रहा है कि इस दौरान अधीक्षक रैली में मौजूद रहे जबकि अन्य कुछ कर्मचारी छात्रावास में थे। जिसके बाद छात्रावास में पहुंचे ओमन नेताम को चक्कर आने के साथ ही उसे उल्टी होने लगी। बच्चे की तबियत बिगड़ने के बाद आनन-फानन में उसे उपस्वास्थ्य केंद्र करैहा ले जाया गया। जहां से उसके गंभीर हालत को देखते हुए रेफर कर दिया गया। बच्चे को नरहरपुर अस्पताल ले जाया जा रहा था, तभी उसकी रास्ते में मौत हो गयी। अस्पताल लेकर पहुंचे बच्चे को डॉक्टरों ने परीक्षण उपरांत मृत घोषित कर दिया।
उधर मासूम बच्चे की मौत ने छात्रवास की व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए है। आरोप है कि सही समय पर मासूम बच्चे को अस्पताल में उपचार कराया जाता, तो शायद ये घटना न घटती। छात्रावास अधीक्षक बी.के.नेताम ने बताया कि इस घटना से ठीक दो दिन पहले 12 अगस्त को डाक्टरों की टीम छात्रावास में स्वास्थ्य परीक्षण करने पहुंची थी। बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान छात्र ओमन का भी हेल्थ चेकअप किया गया था। तब वह एकदम स्वस्थ्य था। लेकिन इस बीच दो दिनों के भीतर ही अचानक छात्र की तबियत बिगड़ने से उसकी मौत ने छात्रावास प्रबंधन की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिये है।