माओवादियों की शांति वार्ता की पेशकश पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दो-टूक “हिंसा छोड़ें, तभी बातचीत संभव”

छत्तीसगढ़:
रायपुर, छत्तीसगढ़ में माओवादी संगठन द्वारा शांति वार्ता के लिए केंद्र और राज्य सरकार से अपील किए जाने के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस पर स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन शर्त यह है कि माओवादी पहले हथियार डालें और हिंसा का मार्ग छोड़ें।
मुख्यमंत्री साय ने कहा, छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हमेशा से प्रयासरत रही है। हमने आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास का अवसर दिया है और आगे भी देंगे। लेकिन यदि कोई बंदूक की भाषा में बात करेगा, तो सरकार उसके लिए भी तैयार है।
गौरतलब है कि 1 जुलाई को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति ने एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर युद्धविराम और शांति वार्ता की मांग की थी। पत्र में सरकार पर आदिवासियों की ज़मीन, जंगल और अस्तित्व को नष्ट करने का आरोप लगाया गया। इसके अलावा माओवादी नेताओं की मुठभेड़ों में हुई मौतों को ‘जनसंहार’ बताया गया।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी नक्सलियों को स्पष्ट संदेश दिया था। जून में रायपुर दौरे के दौरान उन्होंने कहा था, नक्सलियों को अब हथियार डालने होंगे। जंगलों में उन्हें चैन से नहीं रहने दिया जाएगा। बातचीत की कोई आवश्यकता नहीं, केवल आत्मसमर्पण करें।
केंद्र सरकार ने इसके बाद ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे नक्सल प्रभावित राज्यों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ इंटर-स्टेट ऑपरेशन की समीक्षा बैठक भी की थी।
छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि बिना हथियार छोड़े किसी भी प्रकार की वार्ता संभव नहीं है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाया जाए। अब तक की कार्रवाई से संकेत मिलते हैं कि सुरक्षा बल निर्णायक बढ़त हासिल कर चुके हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हाल के महीनों में 427 नक्सली मारे गए हैं, जिनमें 31 कुख्यात कमांडर भी शामिल हैं। वहीं, बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया है।





