यूपी में बिजली निजीकरण पर बवाल, आंदोलन की चेतावनी, महापंचायत का ऐलान

लखनऊ, 23 जून 2025
उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण की योजना पर विरोध तेज हो गया है। रविवार को राजधानी लखनऊ में आयोजित ‘बिजली महापंचायत’ में कर्मचारियों, किसानों और उपभोक्ता संगठनों ने एकजुट होकर इस फैसले के खिलाफ जनांदोलन छेड़ने का ऐलान किया। महापंचायत में तय किया गया कि यदि सरकार ने निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया तो जुलाई में ‘जेल भरो आंदोलन’ शुरू किया जाएगा।
‘बिजली महापंचायत’ का आयोजन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले डॉ. राम मनोहर लोहिया लॉ कॉलेज में हुआ, जिसमें कर्मचारी यूनियनों, रेलवे महासंघ, किसान संगठनों और अन्य सामाजिक संगठनों ने भाग लिया। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि टेंडर जारी होते ही पूरे प्रदेश में व्यापक विरोध प्रदर्शन और आंदोलन की शुरुआत होगी।
रेलवे यूनियन के वरिष्ठ नेता शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि निजीकरण लागू हुआ तो रेलवे कर्मचारी भी बिजली कर्मचारियों के साथ गिरफ्तारी देंगे। किसान नेता दर्शन पाल और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के रमानाथ झा ने भी वर्चुअली आंदोलन को समर्थन दिया।
महापंचायत में 2 जुलाई को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन और 9 जुलाई को प्रतीकात्मक हड़ताल की घोषणा की गई, जिसमें 27 लाख बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना है। समिति संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि यदि सरकार टेंडर जारी करती है तो आंदोलन अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और जेल भरो आंदोलन का रूप लेगा।
वक्ताओं ने निजीकरण को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और जम्मू-कश्मीर में बिजली आपूर्ति की निर्बाध सेवा का उदाहरण देते हुए कहा कि निजी हाथों में सेवा देने से संकट के समय भारी दिक्कतें हो सकती हैं। साथ ही सीबीआई जांच की मांग भी की गई।
महापंचायत में प्रस्ताव पारित कर दावा किया गया कि निजीकरण का मॉडल पहले भी आगरा, औरंगाबाद, नागपुर जैसे शहरों में असफल रहा है और इसे 42 जिलों में लागू करना गलत होगा। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने कदम नहीं पीछे खींचे तो राज्यभर में विरोध की आग फैल जाएगी।





