सरगुजा में बच्चों के पोस्टमार्टम के लिए पैसे मांगने का मामला: BMO सस्पेंड, मेडिकल अफसर हटाए गए

सरगुजा। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में दो मासूम बच्चों के पोस्टमार्टम के एवज में परिजनों से पैसे मांगने के सनसनीखेज मामले में राज्य सरकार ने त्वरित और सख्त कार्रवाई की है।
यह मामला तब सामने आया जब रघुनाथपुर अस्पताल में बच्चों के शव का पोस्टमार्टम कराने पहुंचे परिजनों ने आरोप लगाया कि उनसे 10-10 हजार रुपये की मांग की गई। मीडिया में खबरें आने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने तत्काल संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके तहत बीएमओ डॉ. राघवेंद्र चौबे को निलंबित कर दिया गया और ड्यूटी डॉक्टर अमन जायसवाल को बॉन्ड समाप्त कर पद से हटा दिया गया।
19 मई काे हुआ था हादसा
यह दुखद घटना 19 मई की है, जब रघुनाथपुर पुलिस चौकी क्षेत्र के सिलसिला में दो मासूम बच्चे ट्यूबवेल के पास खेलते समय उसके सोख्ता गड्ढे में गिरकर डूब गए। मृत बच्चों की पहचान 5 वर्षीय सूरज गिरी और जुगनू गिरी के रूप में हुई। दो घंटे की तलाश के बाद जब परिजन मौके पर पहुंचे तो दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी। इसके बाद 108 एंबुलेंस को कई बार कॉल किया गया, लेकिन वाहन मौके पर नहीं पहुंचा। मजबूरी में परिजन बच्चों के शव को बाइक पर अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल में शव वाहन की भी व्यवस्था नहीं थी। परिजन बच्चों के शव को बाइक पर ही वापस गांव ले गए। बाद में पंचायत प्रतिनिधियों की समझाइश के बाद वे फिर बाइक से ही पोस्टमार्टम के लिए शव अस्पताल लेकर पहुंचे। यहीं पर कथित तौर पर पोस्टमार्टम के लिए 10-10 हजार रुपये की मांग की गई, जिससे परिजन आक्रोशित हो उठे।
मामला प्रकाशित होने के बाद मंत्री ने लिया एक्शन
मीडिया में यह मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर BMO और ड्यूटी डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। विभाग की इस सक्रियता के बाद पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही पर सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि BMO डॉ. राघवेंद्र चौबे ने पैसे मांगने के आरोप से इनकार किया है।
उनका कहना है कि उन्होंने स्वयं परिजनों से बात की, लेकिन किसी डॉक्टर द्वारा पैसे मांगने की पुष्टि नहीं हुई। उन्होंने दावा किया कि एक बिचौलिए ने डॉक्टर से संपर्क कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट बगैर जांच के बनवाने की पेशकश की थी और इसके बदले 5 से 10 हजार रुपये देने की बात कही थी। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने बिचौलिए को बुलाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं आया। डॉ. चौबे ने यह भी स्पष्ट किया कि शव वाहन की अनुपलब्धता की जानकारी परिजनों को दी गई थी और लुण्ड्रा से वाहन बुलाया जा रहा था, लेकिन परिजनों ने खुद ही बाइक से शव घर ले जाने का निर्णय लिया। उनका तर्क था कि वाहन आने से पहले वे अपने गांव पहुंच जाएंगे।