2026 में बंगाल की सियासत: राम बनाम अस्मिता की जंग, बीजेपी ने राम के नाम पर बिछाई सियासी बिसात, ममता ने संभाली बंगाल अस्मिता की ढाल

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी ने अब से ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। रामनवमी के मौके पर बीजेपी और हिंदू संगठनों ने राज्यभर में लगभग 2000 शोभा यात्राएं निकालीं। भगवा झंडों और जय श्री राम के नारों के साथ सड़कों पर भारी भीड़ उमड़ी। बीजेपी नेताओं ने साफ कर दिया है कि 2026 में चुनाव का मुद्दा हिंदुत्व होगा।
बीजेपी ने ममता सरकार पर बोला हमला
बीजेपी नेता अर्जुन सिंह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वह सनातन धर्म का अपमान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ममता रामनवमी को दंगा फैलाने वाला त्योहार बता रही हैं, जो हिंदुओं का अपमान है। बीजेपी का दावा है कि ममता बनर्जी हिंदू विरोधी रुख अपनाकर वोटबैंक की राजनीति कर रही हैं।
राम मंदिर की आधारशिला और सियासी संदेश
बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी ने पूर्वी मेदिनीपुर के सोनाचूरा गांव में राम मंदिर की आधारशिला रखी। यह वही जगह है जो नंदीग्राम आंदोलन का केंद्र रही है। इस कदम को बीजेपी का एक और बड़ा सियासी संकेत माना जा रहा है कि वे राम नाम के सहारे बंगाल की राजनीति में गहराई तक उतरना चाहते हैं।
ममता बनर्जी का जवाब: बंगाल अस्मिता और विकास
ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड के मुकाबले बंगाल अस्मिता को सामने रख रही है। ममता पहले भी 2021 के चुनाव में ‘मां, माटी, मानुष’ और ‘बंगाली बनाम बाहरी’ जैसे नारों से चुनाव जीती थीं। इस बार भी वह यही रणनीति अपनाने की तैयारी में हैं।
शांति से निकली शोभा यात्राएं, टीएमसी ने जताई सफलता
रामनवमी पर किसी बड़ी घटना के बिना शोभा यात्राएं संपन्न हुईं। टीएमसी और पुलिस प्रशासन इसे अपनी सफलता मान रहे हैं। कोलकाता पुलिस ने पहले से ही पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था कर रखी थी। इससे ममता सरकार की कानून व्यवस्था पर पकड़ भी दिखी।
क्या 2026 में फिर दोहराएगी ममता 2021 की कहानी?
जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, बीजेपी और टीएमसी के बीच टकराव और तेज होता जा रहा है। एक तरफ बीजेपी राम नाम का सहारा लेकर जनता को जोड़ने की कोशिश कर रही है, वहीं ममता बंगाली अस्मिता और विकास को चुनावी मुद्दा बना रही हैं। अब देखना होगा कि जनता किसे अपना समर्थन देती है।