शासन के सभी दावे हो रहे फेल, जलकुंभी और गंदे पानी से पटा अरपा नदी

बिलासपुर : बिलासपुर शहर की जीवन दायनि माने जाने वाली अरपा नदी पिछले कुछ वर्षों से बदहाल है लेकिन शासन के द्वारा इस दिशा में केवल बातें की जा रही है धरातल पर वह नजर नहीं आता गंदे नाले के पानी और जलकुंभी से नदी पता पड़ा है जबकि शासन इस पर करोड़ों रुपए अब तक बर्बाद कर चुकी है
अरपा नदी बिलासपुर के लिए बेहद उपयोगी है क्योंकि यह शहर की जीवनदयानी मानी जाती है। लेकिन विगत 25 वर्षों से भी अधिक समय से अरपा नदी मैं केवल बारिश के दिनों में पानी नजर आता है जबकि गर्मी के दिनों में या नदी सूखे नाले की तरह नजर आती है हालांकि अरपा नदी के सौंदर्य करण के लिए शासन के द्वारा विभिन्न योजनाओं पर कार्य करते हुए इसमें करोड़ों रुपए खर्च किए गए लेकिन आज भी अर्पणादी इस स्वरूप में नजर आ रही है जैसी उसकी हालत है ना तो इसमें पानी नजर आता है और ना ही सौंदर्य करण की दृष्टिकोण से नदी पर कोई कार्य यही वजह है कि केवल बारिश के चार महीने में नदी में पानी दिखता है बाकी 8 महीने यह सूखी रहती है हालांकि नदी में पानी की उपलब्धता को बनाए रखने के लिए दोनों और सड़के बनाई गई। लेकिन नदी में पानी की जगह केवल गंदे नाले से छोड़ा जा रहा पानी नजर आता है विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके पीछे मुख्य वजह अरपा का उत्खनन और गंदे नाले का नदी में छोड़ जाना जिम्मेदार है
पूर्व की कांग्रेस सरकार ने अरपा के विकास के लिए यहां बैराज बनाने की स्वीकृति देते हुए अरपा नदी में दो बैराज बनवा दिए इसके अलावा सड़कों का निर्माण कर भी शुरू कराया तो वही अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण बनाकर अरपा में विकास की कार्य योजना पर कार्य शुरू किया लेकिन सरकार जाने के बाद एक बार फिर से मामला ठंडा बस्ती में है और अरपा फिर से वही गंदगी से भरी नजर आ रही है अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य महेश दुबे का मानना है काजू पर नहीं बल्कि धरातल में अगर काम किया जाए तो अरपा का वह स्वरूप वापस आ सकता है लेकिन न जाने क्यों शासन ऐसा करना नहीं चाहती
बिलासपुर शहर के मध्य से बहने वाली अरपा नदी को संगीन की जरूरत है क्योंकि नदी की वजह से ही बिलासपुर का जल स्रोत बना रह सकता है लेकिन देखा जा रहा है कि जिस तरह से नदी में अवैध उत्खनन के साथ केवल नाले का गंदा पानी नदी में छोड़ा जा रहा है वह उचित नहीं है। मौजूदा समय में जो भी राशि अरपा नदी के विकास पर खर्च हो रही है उसे देखकर तो लगता है कि यहां केवल औपचारिकता ही निभाई जा रही है अगर नदी को अपने मूल स्वरूप में लाना है तो सबसे पहले गंदे नाले के पानी को बंद करना होगा और नदी के समतल को बेहतर करना होगा तभी अरपा में बारह महीने पानी रखने की जो योजना है उसे साकार किया जा सकता है वरना आने वाले समय मे अरपा नदी केवल इतिहास में ही दर्ज होगी