जमीन रजिस्ट्री गाइडलाइन में बढ़ोतरी पर छिड़ी सियासी जंग, सत्ता और विपक्ष दोनों में बढ़ा विरोध

रायपुर। प्रदेश में जमीन रजिस्ट्री गाइडलाइन में 100 से 800 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी के बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। पहले जहां कांग्रेस सहित विपक्ष इस फैसले पर लगातार हमलावर था, अब सत्ता पक्ष के नेता भी इसके खिलाफ खुलकर सामने आने लगे हैं। रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर गाइडलाइन वृद्धि को तत्काल स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने इस बढ़ोतरी को अव्यावहारिक और जनता पर सीधी आर्थिक मार बताया।

विपक्षी दलों का कहना है कि अचानक हुई यह वृद्धि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जमीन खरीद-फरोख्त को महंगा कर देगी, जिससे मध्यवर्ग, किसान, छोटे व्यापारियों और निवेशकों पर भारी बोझ पड़ेगा। वित्त विभाग आपत्तियों की समीक्षा कर सकता है, लेकिन अभी किसी अंतिम निर्णय पर स्थिति साफ नहीं है।

सांसद अग्रवाल ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि गाइडलाइन बढ़ोतरी बिना जन-परामर्श और बिना किसी वास्तविक मूल्यांकन के लागू की गई है। उनका कहना है कि दावा किया जा रहा है कि इससे भूमि अधिग्रहण में किसानों को अधिक मुआवजा मिलेगा, जबकि वास्तविकता यह है कि केवल 1% जमीन ही अधिग्रहण में आती है और 99% लोग अनावश्यक बोझ झेलेंगे। उन्होंने पंजीयन शुल्क को 4% से घटाकर 0.8% करने की मांग भी की।

दूसरी ओर, कांग्रेस ने सांसद के पत्र को “औपचारिकता” बताते हुए बुधवार को इसे जलाकर विरोध जताया। पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि यदि भाजपा नेता वास्तव में चिंतित हैं तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन करें, कांग्रेस भी साथ देगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि गाइडलाइन वापस नहीं ली गई, तो बड़ा आंदोलन होगा।

वहीं, अधिकारियों का कहना है कि पुरानी गाइडलाइन पुराने हो चुके थे और बाजार मूल्य से काफी पीछे चल रहे थे। नई दरें लागू होने से किसानों को तीन गुना मुआवजा और संपत्ति पर अधिक बैंक ऋण मिल सकेगा। साथ ही नगरीय क्षेत्रों में समान परिस्थितियों वाले इलाकों को रोड-वाइज दरों में शामिल किया गया है।

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