हिमालय में टनल निर्माण को सुरक्षित बनाने के लिए नई तकनीक – हिमालयन टनलिंग मेथड

हिमालयी क्षेत्रों में रेलवे और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए टनल बनाना हमेशा से एक चुनौती रही है। यहां की अस्थिर चट्टानें और भूगर्भीय परिस्थितियां पारंपरिक टनलिंग तकनीकों के लिए मुश्किल खड़ी करती हैं। इसी समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने हिमालयन टनलिंग मेथड (HTM) विकसित किया है। यह तकनीक पारंपरिक न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) की तुलना में अधिक सुरक्षित और प्रभावी साबित हो रही है।

HTM क्यों जरूरी है?

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में टीवी9 के ‘व्हाट इंडिया थिंक्स टुडे’ समिट में बताया कि NATM तकनीक पूरी दुनिया में टनल निर्माण के लिए इस्तेमाल होती है, लेकिन यह हिमालयी इलाकों में उतनी कारगर नहीं थी। इसकी वजह यह है कि हिमालय relatively young और अस्थिर पहाड़ हैं, जहां खुदाई के दौरान भूस्खलन और चट्टानों के गिरने का खतरा ज्यादा होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए HTM को खासतौर पर भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से विकसित किया गया।

Himalayan Tunneling Method कैसे काम करती है?

HTM में टनल निर्माण के दौरान विशेष रिइन्फोर्समेंट तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें—

फ्लेक्सिबल सपोर्ट सिस्टम – जिससे टनल मजबूत बनी रहे।

माइक्रो-पायलिंग – जो टनल की नींव को स्थिर करता है।

ग्राउटिंग तकनीक – जिससे कमजोर चट्टानों को मजबूती मिलती है।

इन उपायों से टनल खुदाई के दौरान किसी भी तरह के भू-स्खलन या अस्थिरता से बचा जा सकता है।

NATM और HTM में क्या अंतर है?

1950 के दशक में विकसित न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) में टनल की खुदाई के तुरंत बाद उसके चारों ओर स्प्रे कंक्रीट (शॉट क्रीट) लगाया जाता है, ताकि संरचना को मजबूती मिले। लेकिन हिमालयी क्षेत्रों में यह तरीका पूरी तरह सफल नहीं था, क्योंकि वहां की मिट्टी और चट्टानें अपेक्षाकृत कमजोर होती हैं। दूसरी ओर, HTM को खासतौर पर हिमालय के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे टनल निर्माण ज्यादा सुरक्षित हो जाता है।

रेलवे परियोजनाओं में HTM का उपयोग

2014 से पहले भारतीय रेलवे नेटवर्क में सिर्फ 125 किलोमीटर टनल थीं, लेकिन 2014 से 2024 के बीच 400 किलोमीटर नई टनल बनाई गई हैं। हिमालयी क्षेत्रों में रेलवे विस्तार के लिए HTM को एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

HTM का उपयोग कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में किया जा रहा है—

•जम्मू-कश्मीर रेलवे प्रोजेक्ट

•अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक रेलवे लिंक

•उत्तराखंड में चार धाम रेल प्रोजेक्ट

•हिमाचल में रोहतांग टनल

HTM से क्या फायदे होंगे?

यह तकनीक हिमालयी क्षेत्रों में रेल कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद करेगी। इससे यातायात सुगम होगा और सामरिक दृष्टि से भी भारत को मजबूती मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को नई ऊंचाई मिली है, और HTM इसका उदाहरण है। इससे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा और दुर्गम क्षेत्रों तक यातायात पहुंचाना आसान होगा।

 

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