छत्तीसगढ

कोयला घोटाले में मनीष और रजनीकांत के खिलाफ 1000 पन्नो का चालान कोर्ट किया गया पेश..

रायपुर। कोयला घोटाला मामले में एसीबी-ईओडब्ल्यू की टीम ने एसीबी की विशेष कोर्ट में दो आरोपी मनीष उपाध्याय और रजनीकांत तिवारी के खिलाफ पूरक चालान (अभियोग पत्र) पेश किया। ईओडब्ल्यू की ओर से 1000 हजार पन्नों का चालान व 25 पेज की समरी के साथ एक पेन ड्राइव भी कोर्ट को सौंपा। इस मामले की अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी।

कोयला घोटाले के आरोपित मनीष उपाध्याय और रजनीकांत तिवारी के खिलाफ अवैध कोल लेवी वसूली मामले में जांच ब्यूरो ने धारा 120 बी, 384. 420 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 7-ए. 12 के तहत कोर्ट में अपना पूरक चालान पेश किया है। गौरतलब है कि रजनीकांत, सूर्यकांत तिवारी का बड़ा भाई है। इस मामले में सूर्यकांत पहले से ही रायपुर जेल में बंद है।

सिंडिकेट में शामिल होकर करते थे वसूली

एसीबी-ईओडब्ल्यू ने अपने पूरक चालन में बताया है कि आरोपी मनीष उपाध्याय और रजनीकांत कोयला घोटाले के सिंडिकेट में शामिल होकर अवैध कोल वसूली के पैसे को कलेक्ट करते थे और सिंडिकेट से जुड़े अन्य लोगों तक पैसे पहुंचाते थे। ईओडब्ल्यू की टीम को जांच के दौरान कोल घोटाले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मिले है,वही जो अवैध कमाई हुई उसका निवेश चल-अचल संपत्तियों में किया गया है।

कोल लेवी मामले में ईओडब्ल्यू की टीम जांच में पाया कि दोनों आरोपियों का घोटालों से जुड़े अन्य लोगों से गहरे संबंध है। ईओडब्ल्यू की ओर से बताया गया कि मनीष उपाध्याय, रजनीकांत तिवारी लंबे समय से फरार चल रहे थे, जिन्हें ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। विवेचना के दौरान आरोपियों के सिंडिकेट में शामिल होकर अवैध कोल वसूली के रकम के संग्रहण, परिवहन व वितरण करने के महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले थे। अन्य आरोपियों के विरूद्ध अग्रिम विवेचना जारी है।

सिंडिकेट बनाकर हुई 570 करोड़ की वसूली

अवैध कोल लेवी वसूली का मामला ईडी की छापेमार कार्रवाई में सामने आया था। दावा है कि कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आइएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था। इसके लिए सिंडिकेट बनाकर वसूली की जाती थी।

पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया,जो व्यापारी 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम अपने आदमियों के जरिए वसूलता था। जो रकम देता था, उसे ही खनिज विभाग का पीट पास और परिवहन पास जारी किया जाता था। ईडी ने जांच में 570 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली का दावा किया था।

 

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