भारत-पाक और भारत-बांग्लादेश सीमा पर तनाव, BSF के आधुनिकीकरणकी मांग तेज
नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा पर बढ़ते तनाव के साथ-साथ ड्रग्स और हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी के कारण मानव शक्ति की कमी से जूझ रहे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को हाई-टेक होने की सख्त जरूरत है. सीमा सुरक्षा एजेंसी के पास 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा और पश्चिम में पाकिस्तान के साथ 2,289 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा के लिए कुल 2.65 लाख कर्मी हैंl
हलांकि, बीएसएफ में 12,808 पद खाली पड़े हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती भारत की सीमा की संवेदनशीलता को स्वीकार करते हुए बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक सुरजीत सिंह देसवाल ने शनिवार को ईटीवी भारत से कहा कि, बल को हमेशा अपने उपकरणों को अपग्रेड करने पर ध्यान देना चाहिए. देसवाल ने कहा, ” उपकरणों को अपग्रेड करना हमेशा जरूरी होता है. यह भी सच है कि बीएसएफ हमेशा अपने बलों को आधुनिक हथियार और उपकरण मुहैया कराती हैl
उन्होंने कहा कि, सीमा सुरक्षा बल का एक बड़ा हिस्सा गैर-सीमा संबंधी कार्यों में लगा हुआ है, जिसमें रक्षा और सुरक्षा से असंबंधित केंद्र सरकार की नागरिक योजनाओं का क्रियान्वयन शामिल है. दिलचस्प बात यह है कि बल की कम से कम 20 फीसदी ताकत 45 से 60 साल के उच्च आयु वर्ग में है, और लगभग 20 फीसदी कम चिकित्सा श्रेणी में है, जो उन्हें परिचालन जिम्मेदारियों के लिए अनुपयुक्त बनाता हैl
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की मौजूदा सरकार ने सीमा पर परिचालन ड्यूटी के लिए आयु सीमा 57 साल से बढ़ाकर 60 कर दी थी. 1998 तक आयु सीमा 55 साल थी. हालांकि, छुट्टी, खेल, बैंड और औपचारिक गतिविधियों के कारण BSF की परिचालन ड्यूटी प्रभावित होती हैl
बीएसएफ के पास 13 फ्रंटियर हैं, जिनमें से प्रत्येक में करीब 300 खिलाड़ी और 60 से 65 सदस्यों की टुकड़ी है, जिन्हें नियमित निगरानी और युद्ध संबंधी कार्यों से मुक्त कर औपचारिक ड्यूटी के लिए नियुक्त किया गया है. उनकी कुल संख्या तीन बटालियनों से अधिक के बराबर होगीl
बल में 193 बटालियन हैं, जिनमें चार आपदा प्रबंधन बटालियन शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में करीब 1,200 जवान और अधिकारी हैं. एक बटालियन में सात कंपनियां होती हैं. इनमें से कई बटालियन कानून और व्यवस्था संबंधी ड्यूटी में लगी हुई हैं. इसके अलावा, मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए 15 बटालियन या 105 कंपनियां तैनात हैं. अन्य 14 बटालियन यानी 98 कंपनियां वर्तमान में ओडिशा और छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों में लगी हुई हैंl
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